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________________ भद्रबाहुसंहिता उल्कापात हरे और लाल रंग का वृत्ताकार दिखलाई पड़े तो सुवर्ण और चांदी के भाव स्थिर नहीं रहते। तीन महीनों तक लगातार घटा-बढ़ी चलती रहती है । कृष्ण सर्प के आकार और रंगवाली उल्का उत्तर दिशा से निकलती हुई दिखलाई पड़े तो लोहा, उड़द और तिलहन का भाव ऊंचा उठता है। व्यापारियों को खरीद से लाभ होता है । पतली और छोटी पूंछवाली उल्का मंगलवार की रात्रि में चमकती हुई दिखलाई पड़े तो गेहूँ, लाल कपड़ा एवं अन्य लाल रंग की वस्तुओं के भाव में घटा-बड़ी होती है। मनुष्य, गज और अश्व के आकार की उल्का यदि रात्रि के मध्यभाग में शब्द सहित गिरे तो तिलहन के भाव में अस्थिरता रही है। मृग, अश्व और वृक्ष के आकार की उल्का मन्द-मन्द चमकती हुई दिखलाई पड़े और इसका पतन किसी वृक्ष या घर के ऊपर हो तो पशुओं के भाव ऊंचे उठते हैं, साथ ही साथ तृण के दाम भी महंगे हो जाते हैं। चन्द्रमा या सूर्य के दाहिनी ओर उल्का गिरे तो सभी वस्तुओं के मूल्य में वृद्धि होती है। यह स्थिति तीन महीने तक रहती है, पश्चात् मूल्य पुनः नीचे गिर जाता है । वन या श्मशान भूमि में उल्कापात हो तो दाल वाले अनाज महंगे होते हैं और अवशेष अनाज सस्ते होते हैं । पिण्डाकार, चिनगारी फूटती हुई उल्ला आकाश में भ्रमण करती हुई दिखलाई पड़े और इसका पतन किसी नदी या तालाब के किनारे पर हो तो कपड़े का भाव सस्ता होता है। रूई, कपास, सूत आदि के भाव में भी गिरावट आ जाती है। चित्रा, मृगशिर, रेवती, पूर्वाषाढ़, पूर्वाभाद्रपद, पूर्वाफाल्गुनी और ज्येष्ठा इन नक्षत्रों में पश्चिम दिशा से चलकर पूर्व या दक्षिण की ओर उल्कापात हो तो सभी वस्तुओं के मूल्य में वृद्धि होती है तथा विशेष रूप से अनाज का मूल्य बढ़ता है। रोहिणी, धनिष्ठा, उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़, उत्तराभाद्रपद, श्रवण और पुष्य इन नक्षत्रों में दक्षिण की ओर जाज्वल्यमान उल्कापात हो तो अन्न का भाव सस्ता, सुवर्ण और चांदी के भावों में भी गिरावट, जवाहरात के भाव में कुछ महंगी, तृण और लकड़ी के मूल्य में वृद्धि एवं लोहा, इस्पात आदि के मूल्य में भी गिरावट होती है । अन्य धातुओं के मूल्य में वृद्धि होती है। दहन और भस्म के समान रंग और आकारवाली उल्काएं आकाश में गमन करती हुई रविवार, भौमवार और शनिवार की रात्रि को अकस्मात् किसी कुएं पर पतित होती हुई दिखलाई पड़ें तो प्राय: अन्न का भाव आगामी आठ महीनों से महंगा होता है और इस प्रकार का उल्कापात दुभिक्ष का सूचक भी है। अन्नसंग्रह करनेवालों को विशेष लाभ होता है। शुक्रवार और गुरुवार को पुष्य या पुनर्वसु नक्षत्र हों और इन दोनों की रात्रि के पूर्वार्ध में श्वेत या पीतवर्ण का उल्कापात दिखलाई पड़े तो साधारणतया भाव सम रहते हैं। माणिक्य, मंगा, मोती, हीरा, पद्मराग आदि रत्नों की कीमत में वृद्धि होती है। सुवर्ण और चाँदी का भाव भी
SR No.023114
Book TitleBhadrabahu Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Jyotishacharya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1991
Total Pages620
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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