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________________ तृतीयोऽध्यायः 35 सुख की सूचिकाएँ हैं। ग्रहों का स्पर्श कर पतित होनेवाली उल्काएँ भयप्रद हैं और स्वतन्त्र रूप से पतित होनेवाली उल्काएँ सामान्य फलवाली होती हैं । उत्तर और पूर्व दिशा की ओर पतित होनेवाली उल्काएँ सभी प्रकार का सुख देती हैं; किन्तु इस फल की प्राप्ति रात के मध्य समय में दर्शन करने से ही होती है । कमल, वृक्ष, चन्द्र, सूर्य, स्वस्तिक, कलश, ध्वजा, शंख, वाद्य-ढोल, मंजीरा, तानपूरा और गोलाकार रूप में उल्काएँ रविवार, भौमवार और गुरुवार को पतित होती हुई दिखलाई पड़ें तो व्यक्ति को अपार लाभ, अकल्पित धन की प्राप्ति, घर में सन्तान लाभ एवं आगामी मांगलिकों की सूचना समझनी चाहिए। इस प्रकार का उल्कापतन उक्त उक्त दिनों की सन्ध्या में हो तो अर्धफल, नौ-दस बजे रात में हो तो तृतीयांश फल और ठीक मध्यरात्रि में हो तो पूर्ण फल प्राप्त होता है । मध्यरात्रि के पश्चात् पतन दिखलाई पड़े तो षष्ठांश फल और ब्राह्ममुहूर्त में दिखलाई पड़े तो चतुर्थांश फल प्राप्त होता है। दिन में उल्काओं का पतन देखनेवाले को असाधारण लाभ या असाधारण हानि होती है । उक्त प्रकार की उल्काएँ सूर्य, चन्द्रमा नक्षत्रों का भेदन करें तो साधारण लाभ और भविष्य में घटित होनेवाली असाधारण घटनाओं की सूचना समझनी चाहिए। रोहिणी, मृगशिरा और श्रवण नक्षत्र के साथ योग करानेवाली उल्काएँ उत्तम भविष्य की सूचिका हैं । कच्छप और मछली के आकार की उल्काएँ व्यक्ति के जीवन में शुभ फलों की सूचना देती हैं । उक्त प्रकार की उल्काओं का पतन मध्यरात्रि के उपरान्त और एक बजे के भीतर दिखलाई पड़े तो व्यक्ति को धरती के नीचे रखी हुई निधि मिलती है। इस निधि के लिए प्रयास नहीं करना पड़ता, कोई भी व्यक्ति उक्त प्रकार की उल्काओं का पतन देखकर चिन्तामणि पार्श्वनाथ स्वामी की पूजाकर तीन महीने में स्वयं ही निधि प्राप्त करता है। व्यन्तर देव उसे स्वप्न में निधि के स्थान की सूचना देते हैं और वह अनायास इस स्वप्न के अनुसार निधि प्राप्त करता है। उक्त प्रकार की उल्काओं का पतन सन्ध्याकाल अथवा रात में आठ या नौ बजे हो तो व्यक्ति के जीवन में विषम प्रकार की स्थिति होती है। सफलता मिल जाने पर भी असफलता ही दिखलाई पड़ती है। नौ-दस बजे का उल्कापात सभी के लिए अनिष्टकर होता है। सन्ध्याकाल में गोलाकार उल्का दिखलाई पड़े और यह उल्का पतन समय में छिन्न-भिन्न होती हुई दृष्टिगोचर हो तो व्यक्ति के लिए रोग-शोक की सूचक है। आपस में टकराती हुई उल्काएँ व्यक्ति के लिए गुप्त रोगों की सूचना देती हैं। जिन उल्काओं को शुभ बतलाया गया है, उनका पतन भी शनि, बुध और शुक्र को दिखलाई पड़े तो जीवन में आनेवाले अनेक कष्टों की सूचना समझनी चाहिए। शनि, राहु और केतु से टकराकर उल्काओं का पतन दिखलाई पड़े तो महान्
SR No.023114
Book TitleBhadrabahu Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Jyotishacharya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1991
Total Pages620
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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