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________________ भी शुभ प्रकृतियों का अनुभागघात वहाँ नहीं होता है, यह सिद्ध होने पर स्थिति व अनुभाग से रहित अयोगी केवली गुणस्थान में शुभ प्रकृतियों का उत्कृष्ट अनुभाग यथावत् बना रहता है। यह अर्थापत्ति से सिद्ध होता है। अभिप्राय यह है कि पुण्य प्रकृतियों का उत्कृष्ट अनुभाग क्षायिक चारित्र, वीतरागता, केवलज्ञान, केवलदर्शन की उत्पत्ति में बाधक नहीं है। यह नियम है कि जब तक पुण्य कर्म प्रकृतियों का द्विस्थानिक अनुभाग बढ़कर चतुःस्थानिक नहीं होता है तब तक सम्यग्दर्शन नहीं होता है और यह चतुःस्थानिक अनुभाग बढ़कर उत्कृष्ट नहीं होता है तब तक केवलज्ञान नहीं होता है। इसके विपरीत पापकर्म की प्रकृतियों का चतुःस्थानिक अनुभाग घटकर द्विस्थानिक नहीं होता है तब तक सम्यग्दर्शन नहीं होता है और घाती पाप प्रकृतियों का पूर्ण क्षय नहीं होता है तब तक केवलज्ञान नहीं होता है। इससे स्पष्ट होता है कि सम्यग्दर्शन और केवलज्ञान में पाप ही बाधक है, पुण्य बाधक नहीं है, पुण्य और पाप प्रकृतियों के अनुभाग (रस) के विषय में कहा गुडखंडसक्करामियअरिया अत्था टुणिंबकजीरा। विसललाटलअरियाऽसत्था टु अघादिपडिभागा।। -गोम्मटसार कर्मकाण्ड, 184 अघाती कर्मों में प्रशस्त प्रकृतियों का एक स्थानिक, द्विस्थानिक, त्रिस्थानिक और चतुःस्थानिक रस क्रमशः गुड़, खांड, मिश्री और अमृत के समान होता है और अप्रशस्त प्रकृतियों का रस क्रमशः नीम, कांजीरा, विष, हलाहल के समान होता है। यह कथन इन प्रकृतियों के एक स्थानिक-द्विस्थानिक, त्रिस्थानिक एवं चतुःस्थानिक स्पर्द्धकों के रस की क्रमशः वृद्धि का सूचक है। यदि पुण्य-प्रकृतियों का अनुभाग बढ़कर चतुःस्थानिक व उत्कृष्ट हो जाता है तो वह अमरत्व (देवत्व, अविनाशीपन) का सूचक होता है । इसके विपरीत पाप प्रकृतियों का अनुभाग उत्कृष्ट होता है तो हलाहल विष का कार्य करता है। अभिप्राय यह है कि पुण्य का अनुभाग जीव के लिये शुभफलदायक एवं अत्यन्त हितकारी है और पाप का अनुभाग अशुभफलदायक तथा अत्यन्त अहितकारी है। प्रदेशबंध- जीव के साथ कर्म परमाणुओं के स्कंधों का सम्बन्ध जितनी मात्रा में होता है, उसे प्रदेशबंध कहते हैं। कर्मों का प्रदेश बंध कर्म सिद्धान्त और पुण्य-पाप 225
SR No.023113
Book TitleBandhtattva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhiyalal Lodha
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2010
Total Pages318
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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