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________________ अरति और शोक इन चारों नो-कषायों का उदय राग-द्वेष व प्रमाद के साथ जुड़ा हुआ है। जैसे- जैसे विरति बढ़ती जाती है और प्रमाद घटता जाता है वैसे-वैसे ये चारों नो-कषाय क्षीण होते जाते हैं। विरति या वैराग्य ही रति-अरति तथा हर्ष-शोक के क्षय में हेतु हैं। ___ अथवा ___अनुकूलता का भोग रति है और रति से प्राप्त होने वाला हर्ष हास्य है। इन्द्रियों को अनुकुल लगने वाले विषयों में रमण करना रति है, जैसे विषय-भोगी को विषय-भोग मिल जाने पर सुखाभास होता है वह रति है और उस प्रवृत्ति से होने वाली सुखानुभूति हर्ष या हास्य है। जैसे शराबी का शराब पीने के लिए प्रवृत्त होना रति है और शराब पीते समय होने वाली सुखानुभूति हर्ष है। इसके विपरीत शराब नहीं पीने वाले को शराब पीने के लिए बाध्य होना पड़े, तो उसके लिए वह प्रवृत्ति अरुचि-अरति पैदा करने वाली होगी। इस अरति से उत्पन्न दुःख की अनुभूति शोक होगा। मनचाही वस्तु की भोग-प्रवृत्ति रति है और उस भोग या रति के समय होने वाला सुखद अनुभव हास्य है। ये दोनों अनुकूल अवस्था से एक साथ उत्पन्न होने वाले भाव हैं। अतः इन दोनों (रति और हास्य) का जोड़ा है। इनका उदय सदैव साथ होता है। अनचाही वस्तु की भोग-प्रवृत्ति अरति है और उस भोग-प्रवृत्ति के समय होने वाला दुःखद अनुभव शोक है। ये दोनों प्रतिकूल अवस्था से एक साथ उत्पन्न होने वाले अनुभव या भाव हैं। अतः अरति और शोक इन दोनों का जोड़ा है। जहाँ अरति होगी वहाँ शोक होगा ही और जहाँ रति होगी वहाँ हर्ष होगा ही। रति और अरति परस्पर विपरीत हैं और हास्य तथा शोक परस्पर विपरीत हैं। जब तक व्यक्ति का देह आदि पदार्थों के साथ अपनत्व व अहंत्व भाव है तब तक उसके अनुकूल अवस्था में रति व हर्ष तथा प्रतिकूल अवस्था में अरति व शोक उत्पन्न होता है। परन्तु जब प्राणी को देह में अपनत्व भाव नहीं रहता है, वह देहातीत हो जाता है तब वह रति-अरति से विरत हो जाता है, विरति को प्राप्त हो जाता है तथा हास्य और शोक को छोड़कर निराकुल प्रसन्नता को प्राप्त हो जाता है। __ भय-जुगुप्सा : जुगुप्सा शब्द 'गुप् रक्षणे' धातु से बना है। जिसका अर्थ है रक्षण की इच्छा । धन- धान्य, भवन आदि वस्तुओं के रक्षण की 126 मोहनीय कर्म
SR No.023113
Book TitleBandhtattva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhiyalal Lodha
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2010
Total Pages318
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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