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________________ रसार्णवसुधाकरः भयानके च बीभत्से रौद्रे चारभटी भवेत् । भरती चापि विज्ञेया करुणाद्भुतसंश्रया ॥ इति|| अत्र सात्त्वत्त्या रौद्रानुप्रवेशकथनं रौद्रप्रतिभटस्य युद्धवीरस्यैव संल्लापादिभिः सात्त्वतीभेदैः परिपोषणं, न तु दानवीरदयावीरयोरिति ज्ञापनार्थम् । तस्मान्न नियमविरोधः । भारत्याश्च करुणाद्भुतविषयत्वकथनं तयोः प्रायेण वागारम्भमुखेन परितोष इति ज्ञापनार्थम् । तेन भारत्याः सर्वसाधारण्यमुपपन्नमेव । | १२२ ] जैसा कि भरत ने (नाट्यशास्त्र में ) कहा है शृङ्गार और हास्य (रस) में कैशिकी वृत्ति समाश्रित होती है । वीर और अद्भुत (रस) सात्त्वती नामक वृत्ति समाश्रित होती है। भयानक बीभत्स और रौद्र (रस) में आरभटी वृत्ति तथा करुण और अद्भुत (रस) में भारती ( वृत्ति) समाश्रित होती है। यहाँ सात्त्वती ( वृत्ति) का रौद्र (रस) में अनुप्रवेश का कथन रौद्र योद्धाओं का युद्धवीर के ही संल्लाप इत्यादि सात्त्वती के भेद से परिपुष्ट होता है, न कि दानवीर और दयावीर के ज्ञापन के लिए। इस कथन के कारण रस-विषयक वृत्तियों के नियम का विरोध नहीं है। भारती वृत्ति का करुण और अद्भुत (रस) - विषयक कथन उन (करुण और अद्भुत) दोनों की वाणी से उत्पन्न होने से परिपुष्ट होने को सूचित करने के लिए हुआ है। अतः भारती वृत्ति का सभी रसों के लिए सामान्य होना प्राप्त हो ही जाता है। केचित्तु तमिमं श्लोकं भारतीयं नियामकम् ।। २८९ ।। प्राधिकाभिप्रायतया व्याचक्षाणा विचक्षणाः ।। आसां रसे तु वृत्तीनां नियमं नानुमन्यते ।। २९० ।। कुछ विद्वान् (भरत) के इस श्लोक को भरत का नियामक ( नियमन करने वाला) मानते हैं ।। २८९उ.।। किन्तु कुछ अत्यधिक तात्पर्य-पूर्वक व्याख्या करने वाले विचक्षण (विद्वान् ) इन वृत्तियों के रस - नियम को नहीं मानते ।। २९० ॥ अथैतासां रसनियम: कैशिकी स्यात्तु शृङ्गारे रसे वीरे तु सात्त्वती । रौद्रबीभत्सयोवृत्तिर्नियतारभटी शृङ्गारादिषु सर्वेषु रसेष्वष्टैव पुनः ।। २८८ ।। भारती । इन वृत्तियों का रसनियम- शृङ्गार रस में कैशिकी, वीर रस में सात्त्वती तथा रौद्र, और बीभत्स रस में आरभटी वृत्ति होती है - ऐसा निश्चय किया गया है। शृङ्गार इत्यादि सभी रसों में भारती वृत्ति होती है ।। २८८ - २८९पू.।।
SR No.023110
Book TitleRasarnavsudhakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJamuna Pathak
PublisherChaukhambha Sanskrit Series
Publication Year2004
Total Pages534
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size31 MB
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