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________________ | ५४] रसार्णवसुधाकरः अवस्थाओं (स्थितियों) के आधार पर एक-एक के आठ-आठ भेद होते हैं। पुनः उनके उत्तमादि भेद से उनके तीन-तीन प्रकार होते हैं। इस प्रकार कुल मिलाकर नायिकाओं के ३८४ भेद होते हैं।।१५८-१५९।। परकीया नायिका की अवस्थाओं के विषय में कुछ आचार्यों के मत- कतिपय आचार्य परकीया नायिका की तीन अवस्थाएँ ही स्वीकारते हैं।।१६०पू.।। यथा (भावप्रकाशे) त्र्यवस्थैव परस्त्री स्यात् प्रथमं विरहोन्मताः । ततोऽभिसारिका भूत्वाभिसरन्ती व्रजेत्स्वयम् ॥ सङ्केताच्च परिभ्रष्टा विप्रलब्धा भवेत्पुनः । पराधीनपतित्वेन नान्यावस्थात्र सङ्गता ॥इति।। जैसे भावप्रकाश में परकीया नायिका तीन अवस्थाओं वाली ही होती हैं- (१) विरहोन्मत्ता फिर (२) अभिसारिका होकर अभिसरण करती हुई (पर नायक के पास) स्वयं जाती हैं और फिर (३) वहाँ सङ्केत स्थल से (प्रियमिलन न होने के कारण) वञ्चित होकर विप्रलब्धा हो जाती हैं। किन्तु पति के पराधीन होने के कारण नायिकाओं की(इनसे) अन्य अवस्था सङ्गत नहीं है। अथ नायिकासहाया: आसां दूत्यः सखी चेटी लिङ्गिनी प्रतिवेशिनी ।।१६०।। धात्रेयी शिल्पकारी च कुमारी च कथिनी तथा । कारुर्विप्रश्निका चेति नेतृमित्रगुणान्विता ।।१६१।। लिङ्गिनी पण्डितकौशिक्यादिः। प्रतिवेशिनी समीपगृहवर्तिनी। शिल्पकारी वीणावादनादिनिपुणा कारु रजक्यादिः। विप्रश्निका दैवज्ञा। शेषाः प्रसिद्धाः। इतररसालम्बनानामनतिनिरूपणीयतया पृथक्करणारम्भस्यानुपयोगात् तत्तद्रसप्रसङ्ग एव निरूपणं करिष्यामः। नायिका की सहायिकाएं- नायक के मित्र (सहायक) के गुणों से युक्त दूतियाँ, सखी, चेटी, लिङ्गिनी, प्रतिवेशिनी, धात्री, शिल्पकारी, कुमारी, कथिनी, कारु तथा विप्रश्निकाये नायिकाओं की सहायिकाएँ होती हैं। लिङ्गिनी पण्डित, सपेरा इत्यादि, प्रतिवेशिनी पड़ोसिन, शिल्पकारी वीणा बजाने इत्यादि में निपुण स्त्रियाँ, कारु=धोबिन इत्यादि, विप्रश्निका ज्योतिषी स्त्री- इनके अतिरिक्त दूती-रहस्य की (गुप्त) बाते जानने वाली सन्देशवाहिका, सखी सहेली, चेटी सेविका, दासी, धात्री=धाय, उपमाता, कुमारी अविवाहिता तरुणी, कथिनी नायक से नायिका का वर्णन करने वाली स्त्री ये प्रसिद्ध हैं। (ये शृङ्गार रस की नायिका की सहायिकाएँ हैं)। इससे
SR No.023110
Book TitleRasarnavsudhakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJamuna Pathak
PublisherChaukhambha Sanskrit Series
Publication Year2004
Total Pages534
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size31 MB
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