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________________ ४३७ तृतीये आख्याताध्यायेऽष्टमो घुडादिपादः ५. चकारस्यान्वाचयशिष्टत्वात् (वि० प०) । [रूपसिद्धि] १. लीढः। लिह् + वर्तमाना-तस् । “लिह आस्वादने' (२।६३) धातु से वर्तमानाविभक्तिसंज्ञक प्र० पु०-द्विव० 'तस्' प्रत्यय, “अन् विकरण: कर्तरि" (३।२।३२) से अन् - विकरण, “अदादेर्लंग विकरणस्य" (३।४।९२) से उसका लुक्, “दहिदिहिदुहिमिहिरिहिरुहिलिहिलुहिनहिवहेर्हात्'' (३।७।३०) से अगुण, “हो ढ:(३।६।५६) से हकार को ढकार, “घढधभेभ्यस्तथोोऽध:' (३।८।३) से तकार को धकार, “तवर्गस्य षटवर्गाट टवर्ग:' (३।८।५) से धकार को ढकार, प्रकृत सूत्र से पूर्ववर्ती ढकार का लोप, उपधासंज्ञक इकार को दीर्घ तथा “रसकारयोर्विसृष्टः” (३।८।२) से सकार को विसर्गादेश। २. मूढः। मुह् + त + सि। 'मुह वैचित्ये' (३।३७) धातु से “निष्ठा'' (४।३।९३) सूत्र द्वारा 'क्त' प्रत्यय, क्-अनुबन्ध का प्रयोगाभाव, हकार को ढकार, तकार को धकार, धकार को ढकार, प्रकृत सूत्र से ढलोप, उपधासंज्ञक उकार को दीर्घ, 'मूढ' शब्द की “धातुविभक्तिवर्जमर्थवल्लिङ्गम्” (२।१।१) से लिङ्गसंज्ञा, सिप्रत्यय तथा सकार को विसर्गादेश ।।८२६। ८२७. सहिवहोरोदवर्णस्य [३।८।७] [सूत्रार्थ ढकार के परे रहते 'सह' तथा 'वह्' धातु से संबद्ध ढकार का लोप एवं पूर्ववर्ती अवर्ण के स्थान में ओकारादेश होता है।।८२७। [दु० वृ०] सहिवहो परे ढलोपो भवति, अवर्णस्यौद् भवति। सोढा, वोढा। कथम् ऊढः, ऊढवान्? अन्तरङ्गत्वानित्यत्वाद् वा सम्प्रसारणम् । वर्णग्रहणं किम्? उदवोढाम् । सिचि अस्य च दीर्घत्वेऽपि स्यात् ।।८२७॥ [दु० टी०] सहि० । ननु किमर्थमत्र ढलोपो विधीयमानत्वेनोच्यते औपश्लेषिकसप्तमीसामर्थ्यात् पूर्वेण ढलोपे दीर्घस्यापवादत्वाद् भवति ? सत्यम्, ओकारस्य प्रधानवाक्यार्थत्वाद् येन नाप्राप्तिन्यायेन च लोपस्य वचनाद् बाधापि सम्भाव्यते। उपधाधिकारेऽवर्णग्रहणम् ऊढवानिति सिद्ध्यर्थम् । ओदिति तकारः सुखोच्चारणार्थः ।।८२७। [समीक्षा ‘सोढा, वोढा' आदि शब्दरूपों के सिद्ध्यर्थ दोनों ही व्याकरणों में अकार को ओकारादेश की व्यवस्था की गई है। पाणिनि का सूत्र है - “सहिवहोरोदवर्णस्य" (अ०६।३।११२)। [विशेष वचन १. अन्तरङ्गत्वानित्यत्वाद् वा सम्प्रसारणम् (दु० वृ०)।
SR No.023090
Book TitleKatantra Vyakaranam Part 03 Khand 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJankiprasad Dwivedi
PublisherSampurnanand Sanskrit Vishva Vidyalay
Publication Year2003
Total Pages662
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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