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________________ तृतीये आख्याताध्याये सप्तमः इडागमादिपादः ४०३ डीश्वीदनुबन्ध०" (४।६।९०) इत्यादिना निष्ठायामिटप्रतिषेधार्थः। यदि चास्यापीह ग्रहणं स्यात् तदा इदनुबन्धो व्यर्थ: स्यात् । साध्यस्य सामान्यद्वारेणैव सिद्धत्वादिति।।८०२। [समीक्षा द्रष्टव्य समीक्षा, सूत्र-सं० ७९५, ७९९। [विशेष वचन] १. भिन्नकर्तृकत्वान्न ज्ञापकश्चेत् तथापि निजिना साहचर्याद् विजेजौहोत्यादिकस्य ग्रहणम् (दु० टी०)। २. यदि चास्यापीह ग्रहणं स्यात् तदा इदनुबन्धो व्यर्थ: स्यात्, साध्यस्य सामान्यद्वारेणैव सिद्धत्वात् (वि० प०)। [रूपसिद्धि १. योक्ता। युज्+ ता। 'युज समाधौ, युजिर् योगे' (३।११५; ६।७) धातु से श्वस्तनीसंज्ञक परस्मैपद-प्र० पु०- ए० व० 'ता' प्रत्यय, प्रकृत सूत्र से इडागम का प्रतिषेध, “नामिनश्चोपधाया लघो:' (३।५।२) द्वारा 'युज्' धातु से उपधासंज्ञक उकार को गण-ओकार तथा “चवर्गस्य किरसवणे" (३।६।५५) से जकार को ककार। २. रोक्ता। रुज्+ता। 'रुज् हिंसायाम्' (९११७२) धातु से श्वस्तनीसंज्ञक 'ता' प्रत्यय तथा शेष प्रक्रिया पूर्ववत् ।। ३. रक्ता । रन्ज्+ता। ‘रन्ज रागे' (१।६०५) धातु से श्वस्तनीसंज्ञक 'ता' प्रत्यय, प्रकृत सूत्र से अनिट, “चवर्गस्य किरसवणे" (३।६।५५) से जकार को ककार, “मनोरनुस्वारो घुटि" (२।४।४४) से नकार को अनुस्वार तथा “वर्गे वर्गान्तः” (२।४।४५) से अनुसार को ङकारादेश। ४. भोक्ता। भज+ता। ‘भुजो कौटिल्ये, भुज पालनाभ्यवहारयोः' (५।५३; ६।१४) धातु से श्वस्तनीसंज्ञक 'ता' प्रत्यय तथा अन्य प्रक्रिया पूर्ववत् । ५. भक्ता। भज् + ता। 'भज सेवायाम्' (१।६०४) से 'ता' प्रत्यय, अनिट् तथा अन्य प्रक्रिया पूर्ववत् । ६. भक्ता । भन्ज्+ता। 'भन्जो आमर्दने' (६।१३) धातु से श्वस्तनीसंज्ञक 'ता' प्रत्यय, अनिट, जकार को ककार, नकार को अनुस्वार तथा अनुस्वार को ङकारादेश। ७. सङ्क्ता । सन्ज् + ता। 'घन्ज सङ्गे' (१।२८८) धातु से 'ता' प्रत्यय, अनिट, ज् को क्, न् को अनुस्वार तथा उसको ङकारादेश। ८. त्यक्ता। त्यज् + ता। 'त्यज हानौ' (१।२८७) धातु से 'ता' प्रत्यय तथा शेष प्रक्रिया पूर्ववत् । ९. भ्रष्टा। भ्रस्ज्+ता। 'भ्रस्ज् पाके' (५।४) धात् से श्वस्तनीसंज्ञक 'ता' प्रत्यय, प्रकृत सूत्र से अनिट्, “स्कोः संयोगाद्योरन्ते च” (३।६।५४) से सकार का लोप, "भृजादीनां षः' (३।६।५९) से जकार को षकार तथा “तवर्गस्य षटवर्गादृवर्ग:" (३।८।५) से तकार को टकार आदेश।
SR No.023090
Book TitleKatantra Vyakaranam Part 03 Khand 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJankiprasad Dwivedi
PublisherSampurnanand Sanskrit Vishva Vidyalay
Publication Year2003
Total Pages662
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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