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________________ २६ कातन्त्रव्याकरणम् परिशिष्टम् - ५ = व्युत्पादितशब्दसूची ५९०-९२ २८. [ दुर्गवृत्ति-दुर्गटीका-विवरणपञ्जिका-कलापचन्द्रनामक व्याख्याओं में जिन १२७ शब्दों की व्युत्पत्ति की गई है, उनकी सूची यहाँ पृष्ठाङ्कसहित प्रस्तुत है | परिशिष्टम् - ६ = विशिष्टशब्दवचनानि ५९३-६१५ २९. [ चार व्याख्याओं में १०२५ ऐसे शब्द तथा वचन है. जो विशिष्ट कहे जा सकते हैं, उनकी वर्णक्रमानुसार सूची यहाँ पृष्ठाङ्क सहित दी गई है | परिशिष्टम् ७ = उद्धृतग्रन्थसूची ६१६-१७ ३०. [चार व्याख्याओं में तथा समीक्षा के अन्तर्गत जिन ५२ ग्रन्थों को उद्धृत वि.या गया है. उनकी वर्णक्रमानुसार सूर्चा यहाँ पृष्ठाङ्कसहित दी गई है ] परिशिष्टम् - ८ = उद्धृतग्रन्थकारसूची ६१८- २० ३१. । चार व्याख्याओं में तथा समीक्षा के अन्तर्गत प्रस्तुत ७९ ग्रन्थकारों की सूची यहाँ वर्णानुक्रम से पृष्ठाङ्कसहित दी गई है । परिशिष्टम् - ९ = साङ्केतिकशब्दपरिचयः ६२१-२२ ३२. [प्रकृत पञ्चम खण्ड (भाग ३. खण्ड २) में आवश्यकतानुसार प्रयुक्त २६ साङ्केतिक शब्दों के पूर्ण शब्दरूप पृष्ठाङ्कमहित दिए गए है |
SR No.023090
Book TitleKatantra Vyakaranam Part 03 Khand 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJankiprasad Dwivedi
PublisherSampurnanand Sanskrit Vishva Vidyalay
Publication Year2003
Total Pages662
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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