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________________ १६२ कातन्त्रव्याकरणम् [विशेष वचन] १. मन्दधियां सुखार्थम् (दु० टी०)। २. अनुबन्धग्रहणं च स्पष्टार्थम् (दु० टी०)। ३. न हि णकार: स्थितिमानस्ति - - - - - - - किन्तु सुखार्थम् (दु० टी०)। ४. पूर्वाचार्यसंज्ञाश्रयणं चेक्रीयितलुगन्तस्य भाषायाम्० (दु० टी०)। ५. सुखार्थमनुबन्धग्रहणम् (बि० टी०)। ६. प्रतिपत्तिगोरवनिरासार्थम् (बि० टी०)। [रूपसिद्धि] १. अशिश्रियत्। अट् + श्रि + अण् + दि। 'श्रिञ् सेवायाम्' (१ । ६००) धातु से अद्यतनीविभक्तिसंज्ञक परस्मैपद प्रथमपुरुष-एकवचन दि' प्रत्यय, "अड् धात्वादिहस्तन्यद्यतनीक्रियातिपत्तिषु'' (३। ८।१६) से धातुपूर्व अडागम, चण् प्रत्यय, धातु को द्विर्वचन, अभ्यासकार्य, प्रकृत सूत्र से गुण का निषेध, इकार को इयादेश, दिप्रत्ययगत इकार का लोप तथा दकार को तकार आदेश। २. अपुषत्। अट् + पुष् + अण् + दि। 'पुष पुष्टौ'' (१।२२८) धातु से अद्यतनी विभक्तिसंज्ञक दि' प्रत्यय, अडागम, “पुषादिद्युताय॒लुकारानुबन्धार्तिशास्तिभ्यश्च परस्मै" (३।२।२८) से अण् प्रत्यय, प्रकृत सूत्र से गुण का निषध तथा दिप्रत्ययगत इकार का लोप। ३. अघुक्षत्। अट् + गुह् + सण् + दि। ‘गुहू संवरणे' (१। ५९५) धातु से अद्यतनीविभक्तिसंज्ञक 'दि' प्रत्यय “सणनिट: शिडन्तात्'' (३। २। २५) से सण प्रत्यय, “हो ढः' (३। ६। ५६) से हकार को ढकार, "तृतीयादेर्घढधभान्तस्य'' (३ । ६।१००) से गकार को घकार, “षढो: क: से' (३। ८। ४) से ढकार को ककार, सकार को षकार, ‘क् + ष्' संयोग से क्ष्, प्रकृत सूत्र से गुण का निषेध तथा इकार का लोप। ४. नीयते। नी + यण् + ते। ‘णी प्रापणे' (१ । ६००) धातु से कर्मवाच्य में आत्मनेपद प्रथमपुरुष–एकवचन ते' प्रत्यय, यण् प्रत्यय तथा प्रकृत सूत्र से गुण का निषेध। ५. दुष्यते। दुष् + यण् + ते। 'दुष वैकृत्ये' (३।२८) धातु से 'ते' प्रत्यय, यण् तथा प्रकृत सूत्र से गुण का निषध। ____६. नरीनृत्यते। नृत् + य + ते। नृती गात्रविक्षेपे' (३।७) धातु से क्रियासमभिहार अर्थ में चेक्रीयितसंज्ञक 'य' प्रत्यय, द्विवचन, अभ्यासकार्य, प्रकृत सूत्र से गुण का अभाव तथा 'नरीनृत्य' धात् से 'ते' प्रत्यय। ७. लोलयते। लू + य + ते। ‘ल छेदने' (८९) धातु से चेक्रीयितसंज्ञक 'य' प्रत्यय, द्विर्वचन, अभ्यासकार्य, 'लोल्य' की धातुसंज्ञा तथा 'ते' प्रत्यय।।६३९।
SR No.023090
Book TitleKatantra Vyakaranam Part 03 Khand 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJankiprasad Dwivedi
PublisherSampurnanand Sanskrit Vishva Vidyalay
Publication Year2003
Total Pages662
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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