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________________ ७८ कातन्त्रव्याकरणम् [वि० प०] उभये० । उभावभ्यस्तफ्यादिविकरणौ अवयवौ येषाम् इति "उभान्नित्यमयट्" तमादित्वात्। ननु चाभ्यस्तत्र्यादिविकरणयोर्यो राशिस्तदपेक्षया तयोरवयवत्वम्। अतो वाक्यार्थवशेन उभयशब्दस्य राशिरभिधेयो भवति तस्य चैकत्वात् कथं बहुवचनमित्याहराश्यपेक्षयेत्यादि। यद्यपि राश्यपेक्षयाऽयमुभयशब्दस्तथापि राशिस्थव्यक्त्यपेक्षया बहवचनमिति भावः। लालायते इति। अत्यर्थं लातीति वाक्ये धातोर्यशब्दः। 'धत्से' इति पूर्ववत् "तथोश्च दधाते:" (३।६। १०२) इत्यभ्यासे दकारस्य धकारः।। ५८३। [बि० टी०] उभये० । व्यक्त्यपेक्षया बहुवचनम्, एतदेवाह – उभौ अवयवौ येषामिति। एतदेव एकारोऽवयवो यस्य "दामागायति०" (३।४।२९) इत्यतः पूर्वं सूत्रद्वये कृते वैचित्र्यार्थमिह पाठः। व्यञ्जनादिग्रहणं च वैचित्र्यार्थमिति।। ५८३ । [समीक्षा] 'लुनीते, पुनीते, जिहीते, मिमीते' इत्यादि शब्दरूपों के सिद्ध्यर्थ नाविकरणघटित तथा अभ्यस्तघटित आकार को ईकारादेश करने की आवश्यकता होती है। इसकी पूर्ति दोनों ही व्याकरणों में देखी जाती है। पाणिनि का सूत्र है – “ई हल्यघो:'' (अ०६। ४। ११३)। पाणिनीय व्याकरण में 'दा–धा' धातुओं की घु–संज्ञा की गई है, अत: वहाँ उसमें ईकारादेश के निषेधार्थ 'अघो:' शब्द का पाठ है। कातन्त्रकार ने एतदर्थ 'दा' संज्ञा की है, इसलिए उन्होंने 'अद:' शब्द पढ़ा है। [विशेष वचन] १. व्यञ्जनादावित्यादिग्रहणं स्पष्टार्थम् (टु० टी०)। २. पूर्व सूत्रद्वये कृते वैचित्र्यार्थमिह पाठः (बि० टी०)। ३. व्यञ्जनादिग्रहणं च वैचित्र्यार्थमिति (बि० टी०)। [रूपसिद्धि] १. मिमीते। मा + अन्लुक् + ते। 'माङ् माने' (२। ८६) धातु से वर्तमानाविभक्तिसंज्ञक प्रथमपुरुष - एवकचन ते' प्रत्यय, अन्विकरण, उसका लुक, ईकारादेश, द्विर्वचन, अभ्याससंज्ञा तथा ह्रस्व। २. जिहीते। हा + अनुलुक + ते। 'ओ हाइ गतौ' (२। ८७) धातु से 'ते' प्रत्यय, प्रकृत सूत्र से आकार को ईकार, द्वित्व, अभ्याससंज्ञा, ह्रस्व, तथा "हो ज:" (३। ३ । १२) से हकार को जकार। ३. लुनीते। लू + ना + ते। 'लूञ् छेदने' (८। ९) धातु से 'ते' प्रत्यय, “ना ज़्यादे:” (३। २। ३८) से 'ना' विकरण “प्वादीनां ह्रस्व:' (३। ६। ८३) से लू - धातुगत दीर्घ ऊकार को ह्रस्व तथा ना - विकरणगत आकार को प्रकृत सूत्र से ईकारादेश।
SR No.023090
Book TitleKatantra Vyakaranam Part 03 Khand 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJankiprasad Dwivedi
PublisherSampurnanand Sanskrit Vishva Vidyalay
Publication Year2003
Total Pages662
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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