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________________ ५७०. दोषाः ५७१ . दोषाशङ्का ५७२. द्यावापृथिव्यौ ५७३. द्यूतम् ५७४. द्योतकाः ५७५. द्रव्यम् ५७६. द्रव्यवचनानाम्ं ५७७. द्रव्यात्मा ५७८. द्रव्यादिस्वरूपोऽर्थः ५७९. द्रोह : ५८०. द्विगुराभाषितो द्विधा ५८१. द्विगुस्त्रिविधो मतः ५८२. द्वितीयं वयः ५८३. द्वितीयपक्षे ५८४. द्विद्रोणेन धान्यं क्रीणाति ५९०. द्व्यङ्गविकलता ५९१. द्व्यङ्ग्ङ्गवैकल्यम् ५९२. धनक्रीता ५९३. धनपतिगृहात् ५९४. धर्मम् परिशिष्टम् - ८ ३०८ ५९५. धर्माः ३७ ५९६. ३९२ | ५९७. ३६० | ५९८. २३४ १९६ ४५१ ४५१ १२,१७ ५९९. धातुवाच्यव्यापारः १०० ११६, १६८ ६००. धातूनामनेकार्थत्वम् ५०,५३ १९८ | ६०१. धातूनामनेकार्थत्वात् ८८ २८८ ६०२. धात्वर्थः ६२ ३७ ३५ ८८ ५८५. द्विपदनियमार्थता ५८६. द्विमुनि ५८७. द्वियमुनम् ५८८. द्विवचनम् ५८९. द्विविधा हि समुदायाः धर्मान्तरम् धर्मिणी क्रिया धर्मो हि शिल्पम् १२४ | ६०३. ध्रुवः ५५ | ६०४. ध्रुवम् ३२४ | ६०५. ३२४ | ६०६. २४१ | ६०७. ८६ ६०८. ६०९. ध्रौव्यलक्षणः ध्वनिकृतो विशेषः नञर्थः नञर्थः प्रलयं गतः नञा निर्दिष्ट ६६, ६८ मनित्यम् ४०९,४१२ ३५७ ६१०. नत्रा निर्दिष्टस्यानित्यत्वात् २०९ ९ | ६११. नञ् द्विविधः ३०२ ८ ६१२. नदादिः २०, २७ ४९४ २४४ १२ ६१३. नदादिप्रतिपत्त्यर्थ एव ४६६ | ६१४. नदादिराकृतिगणः १८६ ६१५. नदादेराकृति ५ २४० | ६१६. १४४ | ६१७. ४३४ | ६१८. ७२७ गणत्वात् नदीतीरे प्लवो वर्धते नपुंसकता नपुंसकलिङ्गम् २३१ ३०१ २९४ ४४९, ४९३ ८० ७४ ३६५
SR No.023088
Book TitleKatantra Vyakaranam Part 02 Khand 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJankiprasad Dwivedi
PublisherSampurnanand Sanskrit Vishva Vidyalay
Publication Year1999
Total Pages806
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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