SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 11
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ खर्गगमनना आगले वर्षे 'सात कुलांगार करता एक कुलदीपक सारो' ए उक्ति यथार्थ करावे तेवा एक मुमुक्षुने स्खशिष्य तरीके दीक्षा आपी मुनि आनंदसागरजी नामे जाहेर कर्या अने काल पण जाणे कुलदीपक शिष्य शवानी राह जोइने उभेलो होय तेम बीजा ज वर्षे सं. १९४८ मागसर सुदी ११ दिवसे लिंबडी मुकामे शिष्यसह विशालजनसमुदायना मुखे नमस्कार महामंत्रना श्रवणपूर्वक शासन प्रत्येनी अविचल वफादारी नूतन दीक्षित मुनि आनंदसागरजीने भलाव्याना पूर्ण संतोष साथे चिरनिद्रामा पोढी गया त्यारबाद तेमनो नश्वर देह पण पंचमहाभूतमा मली अनंत क्षितिजमां विलीन थइ गयो पूज्यश्री विदाय साथे रही गइ तेमनी विशाल स्मृतिओ स्मृतिशेषरूप एकमात्र शिष्यरत्न ते ज कर्मार्थसूत्र कृतिना सजनहार. जीवन अने कवन : महान विभूतिना शिष्य थवा सर्जायेला आ महापुरुषनो जन्म वि. सं. १९३१ मां अषाड वद अमावास्या जे लोकमा दिवासाना पर्व तरीके उजवाय छे ते दिवसे नवांगीवृत्तिकार श्रीअभयदेवसूरिए अनशन सह समाधिपूर्वक पोताना नश्वरदेहनो त्याग करीने जे धरतीने जैन इतिहासमा शोकपूर्ण अमरता अपावेल छे ते पुण्यभूमि कपडवंज (कर्पटवाणिज्य) नामना गाममा गांधी भायचंदभाइना पुत्र मगनभाइ गांधीने घेर थयो हतो. पूज्यश्रीनी माता थवानु सौभाग्य प्राप्त करनारनु नाम जमनाबेन हतु तेओश्रीना एक वडील बंधु पण हता तेमनु नाम मणीलालभाइ हतु पूज्यश्रीना लग्न माणेकबेन साथे थया हता दाम्पत्य जीवनना फल स्वरूप एक पुत्र पण हतो. पूज्यश्री पोतानी १६ वर्ष ४ मास ५ दिवसनी उमरे सं १९४७मां
SR No.023037
Book TitleKarmarth Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLabhsagar Gani
PublisherAgamoddharak Granthmala
Publication Year1973
Total Pages98
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy