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________________ मुणिवीरसेहरविजयविरइअ [गाथा १६ तः थुठवह पभवपहुस्स कि-मपुश्वभग्गणिहिणो अहोभागं । हरिउ गओ जडसिरिं, जा ता लहइ स अपुठवचरणसिरिं ॥१६॥ (पच्छागीई) स गिहेऽणंगदसाऽद्दा, कहंगपमि वये जुगपहाणे । अंगमिआ ठाउं खं, वीरसिवाऽदे सरिसिसंखे ॥२०॥ (पच्छाज्जा) विस्सक्खायवरो पएडम्स स पहू, सोहीअ सय्यंभवो; णिक्कासीम मुणिंदुसेअवयसा, सच्चेसणे तप्परो । जूवाहत्थिअसंतिणाहपटिम, वेरग्गसमंबुहि; मोक्खाऽद्धादरिसं धरामहठिअं, णिहाणं व्व जो ॥२१॥ (सद्द लविक्कीडि) दसजुअं कयं, जेण वेआलिय; मनकसूणुणो, सत्थमोगाहिउँ । जह णरायणो, अंबुहिं मंथिउं; अमररासिणो, उद्धरीआमयं ॥२२।। (मेहावली) वीरसिवाऽस्स जणी रस-विस्स (३६) मिएऽद्दे वयं जुगंग(६४)मिए । स जुगपहाणो भूइसि-(७५) मिए गओ दिवमिहणिहि (९८) मिए।।२३।। (पच्छाज्जा) जसोभद्दो सूरी, स जयउ पए से गणवई; जसोवण्णेणं से, सह सयललोगे धवलिए । हरी अद्धिं संभू, रयणगिरिमिंदो करिवरं, विहुं राहू हंसं, विसमविसिहो मग्गड अहो ॥२४॥ (सिहरिणी) तस्य जनी वीराहे, दोचक्कि ६२ मिए वयं जुगिह ८४ संखे । स जुगपहाणो वसुणिहि १८-मिए दिवमिओ गयमणु १४८ मिए ॥२५॥ (पच्छाज्जा)
SR No.023036
Book TitleBandh Vihanam Tattha Pasatthi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVeershekharvijay
PublisherBharatiya Prachya Tattva Prakashan Samiti
Publication Year1976
Total Pages64
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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