SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 434
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 404 संदर्भ 1. 2. 3. 4. 5. 11. 12. 13. हेमचन्द्र के अपभ्रंश सूत्रों की पृष्ठभूमि 6. भारतीय आर्य भाषा और हिन्दी - पृ० 107 - राजकमल प्रकाशन-दिल्ली भोला शंकर व्यास - प्राकृत पैंगलम् - भाग - 2 / 8103 7. 8. संन्देश रासक - पृ० 31 9. Historical Grammar of Apabhrans-p.34 10. संस्कृत में 'आगम (मित्रवद्भवति) एवं आदेश (शत्रुवद्भवति) दो भिन्न व्याकरणिक इकाइयाँ थीं । जर्नल एशियाटिक सोसाइटी बंगाल - सन 1924 1 हिस्टोरिकल ग्रामर ऑफ अपभ्रंश - पृ० 284 लिन्डो आर्यन - पृ० 207-35, उद्धृत डॉ० तगारे हि० ग्रा० अप० yo 2821 16. 17. पाणिनि - वर्तमाने लट् । 1/3/183 पाणिनि परोक्षे लिट् । 3/2/115 पाणिनि अनद्यतने लुट् । 3/3/15 पाणिनि अनद्यतने लड़. । 18. प्राकृत व्याकरण- - हृषीकेश कृत- प्रकाशन अहमदाबाद, डायमन्ड जुबली श्री जैन प्रिंटिंग प्रेस, सं० 1961, पृ० 185 'भूतार्थे विहितस्य प्रत्ययस्य स्थाने स्वरान्तात् ही, सी, हीअ इत्येते आदेशाः भवन्ति। व्यंजनान्तात् धातोः परस्य भूतार्थे विहितस्य प्रत्ययस्य स्थाने 'इअ' आदेशो भवति । 14 प्राकृत भाषाओं का व्याकरण - 8505-8 15 सिद्ध हेमगत अपभ्रंश व्याकरण - पृ० 34 श्री फार्मस गुजराती सभा उदय विट्ठल भाई पटेल रास्तो, बम्बई - 4 धातु पाठ भ्वादिगण । धातु पाठ तुदादि गण पृ० 24, 25 प्रकाशन वैदिक यन्त्रालय अजमेर, सं० 1991 । धातु० रुधादिगण ।
SR No.023030
Book TitleHemchandra Ke Apbhramsa Sutro Ki Prushthabhumi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamanath Pandey
PublisherParammitra Prakashan
Publication Year1999
Total Pages524
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy