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________________ रचनात्मक प्रत्यय 357 अणुणेइ (अनुनयति), अणुत्तर (3) अव < प्रा० भा० आo-'अब' 8/4/395,6 अवगुणु (अवगुण) अवतरिअ (अवतरित)। (4) आ < प्रा० भा० आo-आ 8/4/419-अविट्टइ (आवर्तते), 4/422-आवहि (आगच्छसि); 4/422-आलवणु (आलपन), 4/422 आदन्नहं (आर्तानां)। (5) उ < प्रा० भा० आo-उत् उप्पत्तिं (उत्पत्तिं), उएइ (उदेति), उआसीण (उदासीन) उव्वरिअ (उपवारितः) . 6. नि < प्रा० भा० आ०-नि, निर : हे० 8/4/395 निवारणु (निवारण), निज्जउ (निर्जितः), निग्घिण (निर्घिणं), 4/395-निसंकु (निःशंकः), 4/401 निज्जिअउ (निर्जितः), 4/401-निरुवम-रस (निरूपम-रस), निवडइ. (निपतति), 4/401 निरामइ (निरामये), 4/395,3 निअत्तइ (निबाहना), 4/419-निवाणु (निर्वाण); 4/422- निच्चिन्तिय (निश्चिन्त); 7. दु < प्रा० भा० आo-दुर् हे0 8/4/386 दुभिक्खें (दुर्भिक्षण), दुब्बल (दुर्बल)। 8. प < प्रा० भा० आ०-प्र हे० 8/4/396 पम्पाम्हट्ठउ (प्रमृष्ट; 4/396-)पफुल्लिअंउ (प्रफुल्लितः); पयासु (प्रयास), पमाण (प्रमाण), पयावदी (प्रजापति), पणट्ठइ (प्रनष्टः), 4/395, 4-पवासुअहं (प्रवासितानां), 4/419-पमाणु (प्रमाण), 4/419-पवसन्ते (प्रवसता), 4/422 पमाणिअउ (प्रमाणितः), 9. परि, परं < प्रा० भा० आo-परि, परम हे० 8/4/389 परिहरइ (परिहरति), परिचलइ (परिचलति). परिहरिअ (परिहृत्य), 4/422, 8-परमत्थु (परमार्थ) 4/425 परिहासडी (परिहास),
SR No.023030
Book TitleHemchandra Ke Apbhramsa Sutro Ki Prushthabhumi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamanath Pandey
PublisherParammitra Prakashan
Publication Year1999
Total Pages524
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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