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________________ रूप विचार 327 5. ७ ० प्राकृत व्याकरण अपेन्डिक्स, पृ० 680-प्रकाशन पूना । 'लिङ्गमतन्त्रम्' 8/4/445 पिशेल प्राकृत भाषाओं का व्याकरण पृ० 511, प्रकाशन-राष्ट्रभाषा परिषद पटना। पिशेल प्राकृत भाषाओं का व्याकरण पृ० 511 राष्ट्रभाषा परिषद पटना। हिन्दी भाषा का उद्गम और विकास-डॉ०उदय नारायण तिवारी पृ० 129 अपभ्रंश पाठावली पृ० 13 11. "स्यमोरस्येद्वा' हेमचन्द्र प्राकृत व्याकरण 8/4/331 12. 'सौ पुंस्योद्वा' हे० प्रा० व्या० 8/4/332 'स्यमो जस्शसांलुक्’ हे० प्रा० व्या० 8/4/333 14. "एट्टि' हे० प्रा० व्या० 8/3/333 15. 'आट्टोणोऽनुस्वारः" हे० प्रा० व्या० 8/4 16. 'भिस्सुपोहिं' हे० प्रा० व्या० 8/4/347 'ङसेहू' हे० प्रा० व्या० 8/4/336 18. 'भ्यसो हुँ' हे० प्रा० व्या० 8/4/337 19. 'ङसः सु होस्सवः' हे० प्रा० व्या० 8/4/338 20. 'आमोहं' हे० प्रा० व्या० 8/4/339 21. 'ङि नेच्च' हे० प्रा० व्या० 8/4/334 22. 'एं चेदुतः' हे० प्रा० व्या० 8/4/303 23. 'ङसिभ्यस् ङीनां हे हं हयः' हे० प्रा० व्या० 8/4/341 24. हुं चेदुद्भ्याम्' हे० प्रा० व्या० 8/4/340 25. हिस्टोरिकल ग्रामर ऑफ अपभ्रंश पृ० 150 26. प्राकृत भाषाओं का व्याकरण पृ० 557 27. हेमचन्द्र के प्राकृत व्याकरण पर अपेन्डिक्स पृ० 697
SR No.023030
Book TitleHemchandra Ke Apbhramsa Sutro Ki Prushthabhumi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamanath Pandey
PublisherParammitra Prakashan
Publication Year1999
Total Pages524
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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