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________________ ध्वनि-विचार 235 (9) अपभ्रंश में एक स्वर के स्थान पर प्रायः दूसरा स्वर हो जाता है।' ___ अ=इ,-किविण < कृपण, चरिम < चरम, पिक्व < पक्व, किह < कथा, जिह < यथा, तिह < तथा। अ = उ-मुणइ < मनुते, झुणि < ध्वनि, आदि। (क) अकारान्त नाम वाले तथा सर्वनाम षष्ठी के एक वचन के अन्त में भी प्रायः अ को उ हो जाता है। सिद्ध हेम०-8/4/338,354 सुअणस्सु, पिअस्सु । तासु, मज्झु, तुज्झु महु, तहु आदि । ___ (ख) आज्ञार्थ पुल्लिंग एक वचन और बहुवचन में भी अ को उ होता है-भणु, लग्गु, छंडु आदि । (ग) वर्तमान काल के पुल्लिंग बहुवचन में करहु < कुरुथ । (घ) क्रिया विशेषण के निपातन के अन्त में-छुडु, पुणु, जेत्थु, तेत्थु, केत्थु, अज्जु, जिमु, तिमु आदि। आ = ए-देई <' दा, लेई <' ला, मेत्त < मात्र इ = अ-पडिवत्त < प्रतिपत्ति, इच्छिउ < इच्छिक सि० हे० 8/9/88, 91 इ = उ-उच्छु < इक्षु इ = ए-बेल्ल < बिल्व, एत्था < इत्थु सि० हे0 8/1/84 ई = अ-हरडइ < हरीतिकी हे० 8/4/99 ई = आ–कम्हार < काश्मीर हे0 8/4/100 ई = ऊ-विहूण < विहीन। ई = ए-एरिस, एरिसिअ < ईदृश हे० 8/4/238। वेण < वीणा ई = ऍ-खे डुअ < क्रीडा। उ = अ-मउड < मुकुट, बाह < बाहु, सउमार < सुकुमार | for to ro ro m
SR No.023030
Book TitleHemchandra Ke Apbhramsa Sutro Ki Prushthabhumi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamanath Pandey
PublisherParammitra Prakashan
Publication Year1999
Total Pages524
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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