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________________ (xxi) 83-170 तृतीय अध्याय अपभ्रंश भाषा अपभ्रंश विषयक निर्देश . पतंजलि भर्तृहरि तथा अन्य वैयाकरणों की दृष्टि में अपभ्रंश काव्यों में अपभ्रंश शब्द के प्रयोग 83-111 83-85 85-87 87-88 88-89 भरत भामह 89 90-98 98 दण्डी आभीर आदि शब्द पर विचार रूद्रट के अनुसार अपभ्रंश कुवलय माला कहा-देशी भाषा का अपभ्रंश के अन्तर्गत समाहार भाषात्रय के अन्तर्गत अपभ्रंश का स्थान षट्भाषा के अन्तर्गत अपभ्रंश का स्थान राजशेखर द्वारा वर्णित अपभ्रंश नमिसाधु के प्राकृतमेवापभ्रंशः पर विचार लक्ष्मीधर और मार्कण्डेय द्वारा वर्णित बोलियाँ अपभ्रंश का काल चन्द्रधर शर्मा और राहुल सांकृत्यायन के अनुसार हेमचन्द्र के परवर्ती आचार्यों की अपभ्रंश रचनाएँ अपभ्रंश का स्वरूप जनता की भाषा के रूप में हर्ष के बाद अपभ्रंश का स्वरूप आधुनिक भाषावैज्ञानिकों के अनुसार अपभ्रंश 98-99 99-100 100-102 102-106 106-109 109-111 111-120 116-119 119-120 120-158 123-126 126-127 127-132
SR No.023030
Book TitleHemchandra Ke Apbhramsa Sutro Ki Prushthabhumi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamanath Pandey
PublisherParammitra Prakashan
Publication Year1999
Total Pages524
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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