SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 63
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ - नामों का विशेष विवरण-१ मदाङ्ग वृक्षों से अकर्मक भूमिक मनुष्यों को मादक रस की प्राप्ति होती थी। २ भृताङ्ग वृक्षों से भृङ्गार कलश आदि वर्त्तनों का काम होता था । ३ त्रुटिताङ्ग वृक्षों से वादित्र संगीत का आनन्द मिलता था। ४ दीपाङ्ग वृक्षों से दीपक का-सा प्रकाश मिलता था । ५ ज्योतिरङ्ग वृक्षों से दूर तक फैलने वाली ज्योति निकलती थी। ६ चित्राङ्ग वृक्षों से रंग बे रङ्ग पुष्पमाल्यों का आनन्द लेते थे। ७ चित्ररसाङ्ग वृक्षों से षडसमय भोज्य पदार्थों की प्राप्ति होती थी ८। मण्यङ्ग वृक्षों से मणिरत्न सुवर्णादिमय आभूषणों का लाभ होता था। गेहाकार वृक्ष उनको रहने के लिए घर का काम देते थे। और १० अनाग्न्य वृक्ष उनका शरीर ढाँकने के लिए वस्त्र का कार्य करते थे। .. . वर्तमान अवसर्पिणी समा के सप्त कुलकर , ऊपर के निरूपण में हमने अनेक स्थानों पर कुलकर शब्द का प्रयोग किया है, परन्तु इनके व्यक्तिगत नाम तथा इनकी दण्ड नीति के विषय में कोई स्पष्टीकरण नहीं किया । अतः यहां पर कुलकरों की संख्या, उनके नाम तथा उनकी दण्डनीति के विषय में समवायाङ्ग तथा आवश्यक नियुक्ति के आधार पर दिया हुआ उनका स्वरुप संक्षेप में निरूपित करेंगे। समवायाङ्ग सूत्रकार कहते हैं - "जम्बुद्दीवेणं भारहे वासे इमीसे अोसप्पिणीए समए सत्त कुलगराहोत्था, तं जहा-पदमेत्थ विमल पाहण, चक्खुम जसम चउत्थ मभिचन्दे । तत्तोय पसेणईए, मरुदेवे चेव नाभीय" ॥ ३ ॥
SR No.022991
Book TitleManav Bhojya Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherKalyanvijay Shastra Sangraha Samiti
Publication Year1961
Total Pages556
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size27 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy