SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 491
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ विन्ध्याचल के उत्तर में सारा भारत वर्ष जैन और ब्राह्मण संस्कृति का केन्द्र बना हुआ था। ____चन्द्रगुप्त की सभा में वर्षों तक रहने वाले और उत्तर भारत में भ्रमण कर यहां का विवरण लेखक प्रीक विद्वान् मेगास्थनीज के भारत विवरण से जाना जाता है कि ग्रीक विजेता सिकन्दर के भारत पर चढ आने के समय सिन्दु नदी के पश्चिम तट के प्रदेश में ब्राह्मण सन्यासियों का प्राबल्य था और इसी कारण से सिकन्दर ने उनके आगे वहां नेताओं को अपने साथ मिला कर भारत पर धावा करने का मार्ग सरल करना चाहा था, परन्तु उसमें वह सफल न हो सका । संन्यासियों की जमात से वहिष्कृत एक सन्यासी जिसका नाम मेगास्थनीज ने "कलेनस' लिखा है सिकन्दर का आज्ञाकारी बन चुका था, परन्तु सबसे बड़ा और सर्व सन्यासियों का नेता वृद्ध सन्यासी मण्डेनिस सिकन्दर की बातों में नहीं आया था। इस सम्बन्ध में मेगास्थनीज अपने भारत विवरण में निम्रोद्ध त पंक्तियां लिखता है। ___ "मेगास्थनीज कहता है कि आत्मघात करना दार्शनिकों का सिद्धान्त नहीं है, किन्तु जो ऐसा करते हैं, वे निरे मूर्ख समझे जाते हैं । स्वभावतः कठोर हृदय वाले अपने शरीर में छुरा भोंकते हैं, अथवा ऊंचे स्थानों से गिर कर प्राण देते हैं, कष्ट की उपेक्षा करने वाले डूब मरते हैं, कष्ट सहने में सक्षम पीसी लगाते हैं और उत्साह पूर्ण मनुष्य आग में कूदते हैं। कल्लेनस भी इसी प्रकृति का मनुष्य था । वह अपने कुकृतियों के वश में तथा और
SR No.022991
Book TitleManav Bhojya Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherKalyanvijay Shastra Sangraha Samiti
Publication Year1961
Total Pages556
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size27 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy