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________________ .. ( ४३८ ) मार्ग को महत्व देने वाले बौद्धों ने अपने चीन स्थित बौद्ध संघ को “महायान" इस नाम से प्रसिद्ध किया, और लङ्का ब्रह्मदेश अादि बौद्ध संघ जो प्राचीन पाली साहित्य को मानने वाला है उसे "हीन-यान" इस नाम से सम्बोधित किया, परन्तु शिलोन, ब्रह्म, यावा, सुमात्रा, आदि के बौद्ध अपने को हीनयानी न कहकर थेरगाथावादी कहते हैं । तिबेटियन बौद्धों का भूत प्रेतों तथा • अद्भुत चमत्कारों पर बड़ा विश्वास है । तिब्बत के कतिपय भिक्षु बाज भी वहां की गुफाओं तथा गहन जंगलों में वर्षों तक अद्भुत सिद्धियों के लिये योग साधनायें करते हैं। प्रवासियों के यात्रा विवरणों में पढ़ते भी हैं कि तिबेटी योगियों में कोई कोई अद्भुत सिद्धि प्राप्त होते हैं। भारत का बौद्ध धर्म भारत वर्ष तो बौद्ध धर्म की जन्मभूमि ही ठहरा, अशोक मौर्य के समय में इसने सारे उत्तरी भारत वर्ष में अपना स्थान बना लिया था, और दक्षिण भारत वर्ष में भी इसके उपदेशक अपना प्रचार कर ही रहे थे । भारत के प्रान्तवर्ती विदेशी राज्यों में भी अशोक ने अपना प्रभाव डाल कर वहां के राजाओं को बौद्ध धर्म के प्रचार में सहायक बनाया था, परन्तु अशोक की मृत्यु के बाद यह स्कीम ढीली पड गई थी। विशेषतः भारत वर्ष में अशोक के उत्तराधिकारी मौर्य राजा सम्प्रति के जैन बनने के बाद भारत में अशोक कालीन बौद्ध धर्म की प्रचार योजनायें बन्द सी हो गई थी। विहार के पूर्वी प्रदेशों को छोड़कर शेषः उत्तरी तथा पश्चिमी
SR No.022991
Book TitleManav Bhojya Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherKalyanvijay Shastra Sangraha Samiti
Publication Year1961
Total Pages556
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size27 MB
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