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________________ ( ४३३ ) ६-जिसने दो वर्ष तक अध्ययन किया हो ऐसी श्रामणेरी को दानों संघ उपसम्पदा दे दें। ७-किसी कारण से भिक्षुणी भिक्षु को गाली गलौज न दे। ८-भिक्षु भिक्षुणी को उपदेश दे । ऊपर कह आये हैं कि बुद्ध जातिभेद नहीं मानते थे । इस . कारण इन के भिक्षु भिक्षुणी संघ में सभी जाति के पुरुष स्त्रियां प्रव्रजित होती थीं। बुद्ध ने प्रारम्भ में संघ व्यवस्था के लिये कोई नियम उपनियम नहीं बनाये थे, परन्तु ज्यों ज्यों समुदाय बढ़ता गया त्यों त्यों अवश्यकता के अनुसार नियम बनाते गये । बुद्ध का कहना यह था कि जब तक संघ में किसी प्रकार का दोष दृष्टि गोचर न हो तब तक उसके निवारणार्थ नियम बनाने बेकार हैं। धीरे धीरे भिनु भिक्षुणियों में अव्यवस्था दृष्टिगोचर होती गई और उसके निवारणार्थ नियम बनते गये । भिक्षु तथा भिक्षुणी संघ के लिये बनाये गये नियमों का संग्रह “विनय पिटक” में दिया गया है। जिनको क्रमशः "भिक्खू पातिमोक्ख" तथा भिक्खूणी पातिमोक्ख" कहते हैं। बुद्ध के जीवन काल में कुल भिक्षु भिक्षुणियों की क्या संख्या थी, इसका ठीक पता नहीं चलता। बुद्ध के निर्वाण के बाद वहां सात दिन में इकट हुए भिक्षुओं की संख्या सात लाख की लिखी है, जो अतिशयोक्ति मात्र है। अध्यापक धर्मानन्द कौशाम्बी का
SR No.022991
Book TitleManav Bhojya Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherKalyanvijay Shastra Sangraha Samiti
Publication Year1961
Total Pages556
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size27 MB
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