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________________ ( ३०७ ) ली जाती है। इसी प्रकार दूसरे अष्टक में दो दो, तीसरे अष्टक में तीन-तीन, चौथे अष्टक में चार चार, पांचवे में पांच-पांच, छ8 में छः छः, सातवें में सात सात और आठवें में आठ-आठ भोजन पानी की दत्तियां ग्रहण की जाती हैं। इस प्रतिमा-तप में चौसठ उपवासे और चौसठ ही पारणे आते हैं। भिक्षा दत्तियां कुलं दो सौं अट्ठासी होती हैं। यह तप'चारं महीनों ओठ दिन में पूरा होता है। ____ नव नवमिका प्रतिमा तप.. नव नवमिका के प्रथम नवंक में उपवास के पारणे एक एक, दूसरे नवक में दो दो, तीसरे में तीन-तीन, चौथें में चार-चार, पांचवें में पांच-पांच, छह में छः छः, सांतवें में सात-सात, आठवें में आठ-आठ और नर्वे में नव-नवं, भोजनं पानी की भिक्षा दत्तियां ली जाती हैं । इसमें उपवास एकांसी और पारणे एकासी आते हैं । भिक्षा दत्तियां चार सौ प्रांच होती हैं। यह प्रतिमा तप पांच महीने बारह दिन में सम्पूर्ण होता है : ' दश दशमिका प्रतिमा तप इस प्रतिमा में प्रथम दशकं के उपवास के पारणे में भोजन पानी की एक-एक दत्ति ली जाती है। इसी प्रकार दूसरे में दो-दो, तीसरे में तीन-तीन, चौथे में चार-चार, पांचवें में पांचपांच, छ? मैं छः छः, सातवें में सात-सात, आठवें में आठ-आठ,
SR No.022991
Book TitleManav Bhojya Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherKalyanvijay Shastra Sangraha Samiti
Publication Year1961
Total Pages556
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size27 MB
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