SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 118
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ જોડવું क्षुद्र [11] भूटती विगतो :| नं. | पातु] अर्थ भू. रि भू. | वर्तमान | वर्तमान | त्वर्थ | संघ५७ तरि | उभरा हन्त | भूत. शुभ | शोमj | शोभित | शोभितवत् | शोभमान | शुभ्यमान | शोभितुम् शोभित्वा ઈચ્છવું इष्ट | इष्टवत् । इच्छत् इष्यमाण एष्टुम् | इष्ट्वा |६४ थj | दुष्ट | दुष्टवत् | दुष्यत् । दुष्यमाण | दोष्टुम् | दुष्ट्वा सोढ | सोढवत् । सहमान | सह्यमान | सोढुम् । सोवा वृद्ध | वृद्धवत् | वर्धमान | वृध्यमान वधितुम् | वृद्ध्वा रोचित | रोचितवत् | रोचमान रुच्यमान रोचितुम् | रोचित्वा युक्तवत् | युज्यमान | युज्यमान | योक्तुम् | युक्त्वा विज् | धू४ | विग्न | विग्नवत् | विजमान | विज्यमान वेजितुम् | वेजित्वा शंस् | j शंसित | शंसितवत् | शंसत् शस्यमान | शंसितम | शंसित्वा [12] पूटती विगतो :घात | अर्थ । तर | तम | ईयस् । इष्ठ તુચ્છ क्षुद्रतर क्षोदीयस् | क्षोदिष्ठ ઘણું बहुलतर बहुलतम बंहिष्ठ युवन् જુવાન युवत्तर युवत्तम यवीयस् यविष्ठ ઘણું દઢ बाढतर बाढतम साधीयस् साधिष्ठ પાતળું कृशतर कृशतम क्रशीयस् | क्रशिष्ठ दृढतर दृढतम द्रढीयस् । द्रढिष्ठ स्थूल स्थूलतर स्थूलतम स्थवीयस् | स्थविष्ठ 8 | स्फिर | વિશાળ स्फिरतर स्फिरतम स्फेयस् । स्फेष्ठ નાનું | इस्वतर हुस्वतम | इसीयस् । हसिष्ठ [13] फूटती विगतो :न. | गुराती अर्थ ३५ । મૂળધાતુ | અર્થ પ્રયોગગણ પદ પુરુષાવચન મારા દ્વારા સેવાઓ. सेव्यताम् | सेव् माशार्थ | भलि 2 |तभा द्वारा पाई प्रत्यागम्येत प्रति+आ+गम् | विध्यर्थ " [१५.५.13 અવાવું જોઈએ. અમે બન્નેએ જોયું હતું. अपश्याव दृश् च.मू.31.5तरि | તેઓ દ્વારા પખાળાય છે. क्षाल्यते १. भाल १016 5 |तभा द्वारा सामो. उपविश्यताम् उप+विश् माशार्थ " | |५.५.| 3 क्षुद्रतम बहुल बंहीयस् | बाढ कश - می क्षल به - به * स२६ संस्कृतम् - ५ • १०४ • परीक्षा-५ 3
SR No.022985
Book TitleSaral Sanskritam Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYashovijay
PublisherDivya Darshan Trust
Publication Year
Total Pages232
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy