SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 54
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ काउसग्ग विधि | ( ३९ ) तपपदने दिवसे ५० उज्ज्वल मोती स्वच्छ मोटा मुकवा. वळी श्रीफल, द्राक्ष, नारंगी, बीजोरा, दाडम, केळां, बदाम विगेरे फळो. लाऊ, पेंडा विगेरे नैवेद्य छती शक्ति दररोज जुदीजुदी जातनुं मुकतुं, जो दरेक दिवसे करवा शक्ति न होय तो दरेक ओळी दीठ एक एक दिवस करवुं, छेवटे बनी शके तो एक ओळी तो संपूर्ण विधिसमेत आराधवी. ॥ काउसग विधि. ॥ पूर्वोक्त विधिए खमासमण दइ उभा थइ पगना वचगाळाने त्रणवार पुंजतो जिनमुद्राए पग राखी योगमुद्राए हाथ राखी गुरु आदेश पूर्वक प्रथम 'इर्यावहिया प्रतिक्रमी ( पडिक्कमी ) खमा० इच्छा० १ इरियावहिया ए कांई सामान्य क्रिया नथी शुद्ध उपयोग पूक इरिया ही पडिकमनार कठिन कर्मोनी निर्जरा करे छे. अबविज्ञान अने केवलज्ञान जेवी विशिष्ट स्थितिए पहोंचे छे. आ इरियावहिनो अर्थ विचारवामां आवे तो आमां एकेन्द्रियथी मांडी याव
SR No.022958
Book TitleNavpadmay Siddhachakra Aradhan Vidhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayodaysuri
PublisherManeklalbhai Mansukhbhai
Publication Year
Total Pages416
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy