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________________ (२६) नवपद विधि विगेरे संग्रह ॥ यात्रा २ रथयात्रा ३ अष्टाह्निकायात्रा एत्रण यात्राओ [महोत्सवो] पैकी अष्टाह्निकायात्राना भेदोमां शाश्वतयात्रा (महोत्सव) तरीके गणाव्या छे, तेमां पण प्रथम शरुआत परम निवृत्तिमय काल होवाथी आश्विन मासमां करवामां आवे छे, अने ते क्रमथी पूर्णाहुति पण आश्विन मासमांज थाय छे. वळी आ शरद् अने वसन्त ऋतुना लगभग मध्य दिवसोमा आयबिलनी तपस्या शारीरिक आरोग्यताने अंगे वैद्यकीय(डाक्टरी) सिद्धान्त प्रमाणे पण केटली लाभप्रद छे ते कालविचारस्वरूपज्ञ पुरुषो पासे समजवा लायक छे. हालनी प्रवृत्तिए शुदि ७ थी १५ सुधीना नव दिवसोनुं आराधन छे. वचमां तिथिनी वृद्धि होय तो आठमथी, अने तिथिनी हानि होय तो छठथी शरुआत थाय छे. सातम बेहोय तो बीजी सातमथी अने आसो बे होय तो बीजा आसोमां शरुआत थाय छे. एज प्रमाणे बे चैत्र होय तो बीजा चैत्रमा आराधना कराय छे.
SR No.022958
Book TitleNavpadmay Siddhachakra Aradhan Vidhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayodaysuri
PublisherManeklalbhai Mansukhbhai
Publication Year
Total Pages416
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size21 MB
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