SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 222
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ स्नात्र पूजानो विधि || ( २०७ ) वर्णवतां सुणतां थकां संघनी पूगे आश ॥ १ ॥ ॥ ढाळ | एक दिन अचिरा हुलरावती. - ए देशी ॥ समकित गुणठाणे परिणम्या, वळी व्रतधर संयमसुख रम्या ॥ वशिस्थानकविधिये तप करी, इसी भावदया दिलमां घरी ॥१॥ जो होवे मुज शक्ति इसी, सवि जीव करूं शासन रसी ॥ शुचिरस ढलते [त) तिहा बांधतां, तीर्थंकर नाम निकाचता ॥ २ ॥ सरागथी सैंयम आचरी, वचमा एक देवनो भव करी ॥ च्यवी पन्नरक्षेत्रे अवतरे, मध्यखंडे पण राजवी कुले ॥३॥ पटराणी कुखे गुणनीलो, जेम मानसरोवर हंसलो ॥ सुखशय्याये रजनी शेषे, उतरतां चउद सुपन देखे ॥४॥ ॥ ढाळ वमनी ॥ पहेले गजवर १ दीठो, बीजे वृषभ २ पट्टो | त्री केशरी सिंह ३, चोथे लक्ष्मी ४ अवीह ॥ १ ॥ पांचमे फूलनी माळा, ५ छट्ठे चंद्र रवि रातो ७ ध्वज मोहोटो ८, नहीं छोटो ॥२॥ दशमे पद्म सरोवर १०, अगियार में ६ विशाळा ॥ पूरण कळश ९
SR No.022958
Book TitleNavpadmay Siddhachakra Aradhan Vidhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayodaysuri
PublisherManeklalbhai Mansukhbhai
Publication Year
Total Pages416
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy