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॥ श्री सिद्धचकाराधनमाहात्म्य ॥
श्री सिद्धचक्र महाराजना नत्रपदोनी समुदित आराधना करनार महाराज श्री श्रीपालकुमार आभवम अनेकभोग ऋद्धि वैभव पामी शासनप्रभावना करी माता तथा नव राणीओ सहित नवमे देवलोके उत्पन्न थया, यावत् नवमे भवे मुक्तिपद पामशे,
|| नवपदोनुं पृथक् माहात्म्य ॥
गणधर भगवंत श्री गौतमस्वामिजी महाराज श्रेणिक महाराजाए पूछेला प्रश्नना जवाबमां नीचे प्रमाणे फरमावे छे.
|| श्री अरिहंतपद माहात्म्य. ॥
तो भणइ गणी नरवर पत्तं अरिहंतपयप्पसाएणं । देवपालेण रजं, सक्कत्तं कत्तिणावि ॥१॥
त्यापछी गणधर भगवान् श्री गौतमस्वामीजी