SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 159
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (१४४) नवपद विधि विमेरे संग्रह ॥ ३ बाह्य ऊनोदरी ( एक दाणाथी मांडी बनी शके त्यांसुधीनुं ) बाह्यतप. ४ आभ्यन्तर ऊनोदरी ( लोलुपता मटाडवा स्वरूप ऊणोदरी ) बाह्यतप. ५ द्रव्यथी वृत्तिसंक्षेप ( वस्त्र विगेरे निर्वाहना द्रव्योनो संकोच ) रूप बाह्यतप. ६ क्षेत्रथी वृत्तिसंक्षेप ( चेष्टा फरवा हरवाना क्षेत्रनो संकोच ) रूप बाह्यतप. ७ कालथी वृत्तिसंक्षेप (अमुककालने माटेनो संकोच) रूप बाह्यतप. ८ भावथी वृत्तिसंक्षेप ( महावीर प्रभुना अभिग्रहनी जेम भावथी संकोच) रूप बाह्यतप. ९ लोच विगेरे कायकष्ट रूप बाह्यतप. १० रसत्याग ( दुध दही, घी, गोळ विगेरे विकृतिनो - त्याग करवो ) रूप बाह्यतप. ११ पांचइन्द्रिय, चारकषाय, त्रणयोगनी संलीनता (इद्रियकषाययोगनी अशुभप्रवृत्तिनो संकोच ) रूप बाह्यतप.
SR No.022958
Book TitleNavpadmay Siddhachakra Aradhan Vidhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayodaysuri
PublisherManeklalbhai Mansukhbhai
Publication Year
Total Pages416
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy