SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 392
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ યુગપ્રધાન જિનચંદ્રસૂરિ २८ॐ (ઉપરોક્ત શાહિ ફરમાન બીજાની બીજી નકલ આ પ્રમાણે મળે છે) | મહોર अल्लाहो अकबर बादशाह अकबर । याददास्त देहरे और किल्ले सतरंजा पहाड पर वाकै है, और तमाम जैन धर्मीयों (पंथों) के पूजनेकी जगह (तीर्थस्थान) है, उनकी हकीकत इस जमानेमें भाणचंद सेवडा ममानित (मना) करता है कि-इस किलेके अंदर देहरा मत बनाओ। १ पहेली मर्तबा भरत चकरवरत वल्द आदिनाथने सतरंजा पहाड पर किला और देहरा बनवाया। २ दूसरी मर्तबा एक मुद्दत (बहुत समय) के बाद सगर चकरवरत वल्द सुमेर (?) (जितशत्रु) ने पहाड पर देहरा दुरस्त करवाया। ३ तीसरी मतवा राजा दुस्तर (जुधिस्टर) पांडवने पहाड पर देहरा बनवाया। ४ चौथी मर्तबा सम्मत् १०८ जो विक्रमी है, जावड बनियेने देहरा बनवाया। .५ पांचवी मर्तबा सम्मत् १२१३ में महता माहर (बाहड) देव, जो कि राजा जयसिंह का मुलजिम (अधिकारी) था, देहरा बनवाया। ६ छठी मर्तबे सुलतान अल्लावदीन के जमाने ( सम्मत् १३०१ [१३७१ । ) में समरा वनियेने एक नइ मूरत बनवाकर पुराने मंदिरकी हिफाजत (जीर्णोद्धार कराके उसीमें स्थापित) की। ___ ७ सातवीं मर्तबा बहादुरशाह गुजरातीके जमानेमें १५ (८७) ७८ में करमा डोसी, जो कि जैन गिरोह (पूनमीये गच्छ) का चेला (भक्त) था, ने इसी तरह पुराने देहरे की मरम्मत कराके एक पुरानी मूर्ति अमुक (ऐरक) समिताके द्वारा तयार कराके. (तोड दी गइ, मूर्ति की मरम्मत कराके) इसी देहरे में रखी ।
SR No.022908
Book TitleYugpradhan Jinchandrasuri
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherPaydhuni Mahavirswami Jain Derasar
Publication Year1962
Total Pages440
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size33 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy