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________________ काल । दीपनादि-प्रकार-यन्त्र कार्यनाम | वशीकरण स्तम्भन आकर्षण शान्तिक | पौष्टिक मारण विद्वेषण | उच्चाटन | पूर्वाह्न पूर्वाह्न | पूर्वाह्न | अर्धरात्रि प्रभात सायंकाल मध्याहून | अपराहून ऋतु वसन्त | वसन्त । वसन्त | हेमन्त शिशिर शरद् ग्रीष्म वर्षों हस्त वामहस्त । दक्षिण । दक्षिण | दक्षिण | दक्षिण दक्षिण | दक्षिण । दक्षिण अंगुलि अनामिका तर्जनी कनिष्ठा मध्यमा | मध्यमा । तर्जनी तर्जनी तर्जनी मुद्रा | सरोजमुद्रा शंखमुद्रा अंकुशमुद्रा | झानमुद्रा | झानमुद्रा वज्रासन प्रवाल प्रवाल आसन स्वस्तिका- वज्रासन दण्डासन पद्मासन पद्मासन मुद्रासन कुक्कुटासन कुक्कुटासन सन ध्यानवर्ण रक्त अरुण चन्द्रकान्त | कृष्ण । धूम्र । धूम्र तत्त्वध्यान जल पृथ्वी अग्नि जल | पृथ्वी व्योम वायु | वायु माला प्रवाल सुवर्ण | प्रवाल | स्फटिक | मुक्तामणि | पुत्रजी- पुत्रजीवनी पुत्रजीवनी वनी पल्लव वषट्र घे घे | वौषट् स्वाहा । स्वाहा | घ घ । फट् मुख | पूर्व । दक्षिण । पश्चिम । नैऋत्य । ईशान । आग्नेय । वायव्य पीत
SR No.022903
Book Titlehrinkar Kalptaru Yane Jain Dharmno Divya Prakash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhirajlal Tokarshi Shah
PublisherJain Shaitya Prakashan Mandir
Publication Year1970
Total Pages350
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size17 MB
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