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________________ जोडणी, जे लेखकोनी जे हती बहुधा, ते ज राखी छ। केटलाक लेखो दुर्वाच्य होवाना कारणे, तेमज दृष्टिदोष के प्रेसदोषना कारणे, जे कई क्षतिओ रही गई देखाय ते बदल लेखको अने वाचको क्षमा करे! पू. उपाध्यायजीए केटली कृतिओ रची हती ? तेनो चोक्कस संख्यानिर्णय करवानुं कोई साधन नथी। * परंतु तेओश्रीनी कृतिओमां अथवा बीजा फुटकर हस्तपत्रमा मलेली नोंध मुजब हाल तेनी निम्न संख्या ॐ नक्की करी शकीए--- प्राकृत-संस्कृतभाषानी कृतिओ प्राकृत-संस्कृत भाषाना उपलब्ध अने अनुपलब्ध ग्रन्थोनी कुल संख्या ८३ नी छे; एमां उपलब्ध ६१ अने अनुपलब्ध २२ छ। १- उपलब्ध ६१ मां ४६ मुद्रित अने १५ अमुद्रित छ। २- उपलब्ध ६१ मां, ४६ ग्रन्थो स्वकृत; मूल अने टीकावाला छ। जेमांना ३७ मुद्रित अने ६ अमुद्रित ३- अने शेष १५ अन्य आचार्यकृत ग्रन्थो उपरनी टीकावाला छे. एमाथी ६ मुद्रित अने ६ अमुद्रित 3333388333333333333388888888388888889333333333333333388888888 गुजराती, मिश्र भाषानी कृतिओ 888888888888888888888888888888888888888833389393333383988939333839338 उपलब्ध-अनुपलब्ध गूर्जर-मिश्रभाषानी ज्ञात, उपलब्ध अने अनुपलब्ध, नानी--मोटी थईने ५४ कृतिओ छे; तेमाथी ५३ उपलब्ध अने एक अनुपलब्ध छ। ५३ मांथी ४५ मुद्रित अने ८ अमुद्रित छ। आ उपरांत अन्य ग्रन्थोनुं संशोधन अने संपादन कार्य पण तेओश्रीए कर्यु छे, ते अन्तमा आपेली क ग्रन्थसूचीमां दर्शावेलुं छे। उपर नं. २-३मां जणावेलो १५ संस्कृत कृतिओ, अने ८ गुजराती कृतिओमाथी केटलीक कृतिओनु * संशोधन थयुं छे ने केटलाकनुं थई रह्नु छ। कार्य गंभीर, गहन अने विशाल छे, ज्यारे साधनोनी ऊणप छ। एम छतां ए दिशामां डग मांड्युं छे तो भले ‘शनैः पन्था शनैः पन्था' करतां करतां धीमानो अने 8 श्रीमानोना सहकार अने शुभेच्छाथी अने शासनदेवनी कृपाथी इष्ट उद्देशनी मंजिले पहोंचीशुं । सत्रोत्सवनी उजवणी पछीनु सरवैयुं अमारा माटे उत्साह जगाउनाकै बन्यु छ। सत्रोत्सवनी उजवणीए . उपाध्यायजी परत्वे जैन--जेनेतर वर्गर्नु ठीक ठीक ध्यान दोर्यु छे, अने एना ठीक ठीक लाभो पण सर्जाता जाय छ। वळी, एमनी कृतिओ शोधी काढवानी भावनाने पण वेग मल्यो छे; परिणामे सत्रोत्सव पछी ज नवीन पूर्णापूर्ण १३ कृतिओ लभ्य थई छे, अने हजु अमदावादना भंडारमाथी वधु कृतिओ मळवानी संभावना छ। 888888888888888888 [ १७२ ] 8888888888888888888
SR No.022874
Book TitlePrastavana Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYashodevsuri
PublisherMuktikamal Jain Mohanmala
Publication Year2006
Total Pages850
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size28 MB
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