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________________ मानपत्र भेंट किया 120 श्री जैन की प्रेरणा से पूरा क्षेत्र आजादी के आन्दोलनों में भाग लेने को प्रेरित हुआ । बड़ौत के बाबूराम जैन ने भी सन् 1930 के आन्दोलन में 6 मास कैद की सजा पायी ।" शीतलप्रसाद जैन बड़ौत ने भी इन आन्दोलनों में सक्रियता दिखायी । बड़ौत की तरह ही खेकड़ा भी जैन समाज द्वारा दिये गये सक्रिय योगदान के लिए जाना जाता है। यहाँ के जैन समाज ने विदेशी वस्त्रों के बहिष्कार के साथ ही जेलों की यात्रायें भी की । ‘जैन मित्र' के तत्कालीन समाचार के अनुसार खेकड़ा में जैन युवक समाज की तरफ से जैन मंदिर पर धरना दिया गया, जिसके परिणामस्वरूप सब स्त्री-पुरुष अब मंदिर में स्वदेशी वस्त्र पहनकर ही आते हैं । यहाँ के जैन युवक सत्याग्रही कार्यों में खूब कार्य कर रहे हैं । नेमीचन्द जैन सत्याग्रह करते हुए गिरफ्तार किये गये हैं । 22 इस समाचार का समर्थन करते हुए उ.प्र. सरकार का सूचना विभाग लिखता है 'नेमचन्द जैन खेकड़ा जिला मेरठ सन् 1930-31 के कांग्रेस आन्दोलनों में 6 मास कैद रहे। 23 उनको 11 अगस्त, 1930 को गिरफ्तार किया गया था। उसके बाद वे मेरठ और फैजाबाद की जेलों में भी रहे। 24 खेकड़ा के श्यामलाल जैन ने भी सन् 1930-31 के आन्दोलन में 6 मास कैद की सजा पायी । इसके अलावा ऐसे जैन कार्यकर्ताओं की सूची बहुत लम्बी है, जो जेल में तो नहीं जा सके, परन्तु उन्होंने तन-मन-धन से देश की सेवा की। मेरठ जिले में जहाँ पर भी जैन समाज की छोटी-बड़ी बस्तियाँ थी, वहीं जैन वीरों के द्वारा देश सेवा का व्रत लिया गया तथा देश की आजादी में योगदान दिया गया। छपरौली (मेरठ) एक ऐसा कस्बा था, जिसमें 70 घर जैन समाज के थे। सभी घरों में स्वदेश के प्रति अनन्य लगाव था । वहाँ की जैन माँ - बहिनों ने सूत कातने का रिकॉर्ड बनाया। तत्कालीन जैन पत्रिका 'दिगम्बर जैन' में प्रकाशित खबर पढ़कर यह स्पष्ट हो जाता है कि किस प्रकार जैन समाज आन्दोलन के प्रत्येक क्षेत्र में अपना योगदान देता रहा। पत्रिका लिखती है कि छपरौली के 70 घर जैनियों में 90 से ऊपर चर्खे चलते हैं। ऐसे बहुत कम घर हैं, जिनमें केवल एक ही चर्खा चलता हो, परन्तु अधिकांश घरों में 2 चर्खे चलते हैं तथा किसी-किसी में तीन तक चलते हैं । चखें को चलाने वाले पुरुष नहीं हैं । उनको चलानेवाली हैं, उद्योगशील उन घरों की (स्त्रियाँ) देवियाँ। वहाँ पर उन्होंने चर्खे को अपने हाथ में ले रखा है । वहाँ कोई भी ऐसी जैन स्त्री देखने में नहीं आई, जो चर्खा चलाना न जानती हो । वे अन्य कामों को गौणता से सम्पादित करती हैं, परन्तु चर्खे को उन्होंने प्रधानता दे रखी है । किसी-किसी के घर 1 वर्ष में 200 का और किसी-किसी के घर 100 का सूत तैयार होता है और तैयार करने वाली वहाँ की उद्योगी स्त्रियां ही हैं। इसी पत्रिका में लिखा है कि यद्यपि I सविनय अवज्ञा आन्दोलन और जैन समाज :: 81
SR No.022866
Book TitleBhartiya Swatantrata Andolan Me Uttar Pradesh Jain Samaj Ka Yogdan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmit Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2014
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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