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________________ 56. Uttar Prad स्याद्वाद जैन महाविद्यालय, काशी के छात्र एवं अध्यापकगण Tser 08 bag rs 58. इस प्रकार असहयोग आन्दोलन 1 अगस्त 1920 से प्रारम्भ होकर 6 फरवरी, 1922 तक चला। 5 फरवरी, 1922 को चौरी-चौरा (गोरखपुर) की घटना के बाद गाँधी जी ने बारदोली में कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में इस आन्दोलन को स्थगित करने का प्रस्ताव पारित कराया था । घोषित रूप से असहयोग आन्दोलन अवश्य ही 1922 में स्थगित हो गया, परन्तु यह आन्दोलन तब तक प्रभावी बना रहा, जब तक कि गाँधी जी ने सविनय अवज्ञा आन्दोलन का प्रारम्भ नहीं कर दिया। इस प्रकार स्पष्ट है कि असहयोग आन्दोलन में उत्तर प्रदेश के जैन समाज ने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया । enist svizzagon se सन्दर्भ ८ 1. 'आज' (प्रमुख दैनिक समाचार पत्र ), दिनांक 01.01.1921, दिन रविवार, संस्करण 388, 11 पृष्ठ नं. 7, कॉलम नं. 2, काशी 2. वही, दिनांक 18.01.1921, पृष्ठ 7, कॉलम नं. 1, शीर्षक 'जैन पॉलिटिकल कॉन्फ्रेंस के निर्णय' दनांक 18.0 3. U.P. District Gazetteer 'Muzaffarnagar', Page 41 शिव' कोणी ि असहयोग आन्दोलन और जैन समाज की भूमिका :: 71
SR No.022866
Book TitleBhartiya Swatantrata Andolan Me Uttar Pradesh Jain Samaj Ka Yogdan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmit Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2014
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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