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________________ की गतिविधियों के बारे में अधिवेशन को जानकारी दी। हुलासचंद जैन की सक्रियता का उल्लेख उ.प्र. के सूचना विभाग ने भी किया है। बाबू सुमेरचंद जैन (एडवोकेट) भी स्वतंत्रता आन्दोलन में सक्रिय रहे। 1923 में स्वराज्य पार्टी के आदेश पर उन्होंने यू.पी. कौंसिल का चुनाव लड़ा। पं. मोती लाल नेहरू ने उनके समर्थन में कई जनसभायें की, परन्तु चुनाव में उन्हें विजय प्राप्त नहीं हो पायी। 78 श्री जैन देश के लिए दिन-रात कार्य करने में कभी पीछे नहीं हटे । जनपद बिजनौर के जैन समाज ने असहयोग आन्दोलन में सक्रिय भागीदारी की। रतनलाल जैन व नेमिशरण जैन ने इस आन्दोलन की कमान सम्भाली। रतन लाल जैन प्रारम्भ से ही देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत थे, वे बहुत निडर और साहसी व्यक्ति थे । अप्रैल 1917 में श्री रतनलाल जैन ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में एल. एल. बी. की परीक्षा दी। एक दिन परीक्षा देने के उपरान्त वे अपने साथी गोपीचन्द धाड़ीवाल के साथ अलफ्रेड पार्क में घूमने गये। उस समय उनकी उम्र 21 वर्ष थी। वे पार्क में घूम ही रहे थे कि एक अंग्रेज उन्हें देखकर चिल्लाया, 'यह तुम्हारे बाप की जमीन नहीं है ।' चिल्लाने के बाद वह अंग्रेज उन्हें अपशब्द कहने लगा । युवा रतनलाल जैन को अंग्रेज के इस व्यवहार पर क्रोध आ गया और उन्होंने अपने साथी के साथ उसे पीट दिया । अंग्रेज को पीटने के बाद वे वहाँ से निकल आये । उस अंग्रेज का नाम मि. ब्राउटन था। 79 इस प्रकार रतनलाल जैन रतनलाल जैन निडर एवं साहसी व्यक्ति थे । असहयोग आन्दोलन के प्रारम्भ होते ही उन्होंने अपनी वकालत को छोड़कर देशसेवा में भाग लेना प्रारम्भ कर दिया। नेमिशरण जैन ने सन् 1921 में कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की 180 3, 4 नवम्बर, 1922 को बिजनौर जिले में राजनीतिक सम्मेलन का कार्यक्रम निश्चित किया गया, जिसमें श्रीमती सरोजनी नायडू, मौलाना आजाद सुवहानी, महात्मा भगवानदीन, डॉ. लक्ष्मीदत्त आदि ने आने की स्वीकृति प्रदान की। इस सम्मेलन को सफल बनाने के लिए नेमिशरण जैन ने दिन-रात मेहनत करनी प्रारम्भ कर दी । श्री जैन उस समय जिला कांग्रेस कमेटी के मंत्री थे। स्थानीय अंग्रेज अधिकारियों ने इस सम्मेलन को विफल करने के लिए जाविता फौजदारी की धारा 108 के अंतर्गत श्री जैन को नोटिस दिया और उसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया। 2 श्री जैन को 1 नवम्बर, 1922 को 1 वर्ष कड़ी कैद की सजा सुनायी गयी । नेमिशरण 1 80 62 :: भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन में उत्तरप्रदेश जैन समाज का योगदान
SR No.022866
Book TitleBhartiya Swatantrata Andolan Me Uttar Pradesh Jain Samaj Ka Yogdan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmit Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2014
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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