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________________ में संलग्न रही। सन् 1922 में रामदेवी बाई बैतूल गई हुई थी, वहाँ भी उन्होंने कांग्रेस के लिए कार्य करना प्रारम्भ कर दिया। वे बैतूल के अंग्रेज कलेक्टर को राखी बाँधने पहुँच गयी और उसके बदले में कांग्रेस के लिए चंदा माँगने लगी। उस कलेक्टर ने चन्दा तो नहीं दिया, हाँ पाँच सेव जरूर दिये, जो उन्होंने स्वयंसेवकों में बाँट दिये । रामदेवी बाई का भाषण सुनकर नागपुर के प्रांतीय कांग्रेस कमेटी के प्रेसीडेण्ट बैरिस्टर अभ्यंकर ने कहा था, 'कांग्रेस को अगर ऐसी दो-चार महिला नेता मिल जायें, तो अंग्रेजी राज का पासा पलट जाये। 28 इस प्रकार अलीगढ़ के इस जैन परिवार ने पूर्ण समर्पण के साथ असहयोग आन्दोलन में भाग लिया। इन सभी का सहयोग तब तक निरंतर मिलता रहा, जब तक हमारा देश आजाद नहीं हो गया । मथुरा में भी जैन समाज द्वारा असहयोग आन्दोलन में भाग लिया गया। अयोध्याप्रसाद गोयलीय उस समय छोटे थे, परन्तु उन्होंने विद्यार्थियों का संगठन बनाकर इस आन्दोलन में हिस्सेदारी की। उन्होंने स्वयं उल्लेख किया है, 'सन् 1919 में रौलट एक्ट के विरोध में भारतव्यापी हड़ताल हुई, तो हम सब जैन विद्यार्थियों ने भी हड़ताल की और उपवास रखा। एक सभा करके गरमागरम भाषण दिये, प्रस्ताव पास किया और मथुरा की बृहत् सभा में लाइन बनाकर भाषण सुनने गये ।' उसी समय जैन छात्र संगठन की ओर से हस्तलिखित अर्द्ध साप्ताहिक ‘ज्ञानवर्द्धक' पत्र निकाला गया। जिसमें सुन्दरलाल जैन, गोयलीय जी, मथुरादास जैन आदि छात्र लिखते थे । इस पत्र में विभिन्न राजनैतिक टिप्पणियाँ की जाती थी तथा मथुरावासियों को देश की आजादी में भाग लेने को प्रोत्साहित किया जाता था। 29 अयोध्याप्रसाद गोयलीय मथुरा के जैन समाज ने अन्य प्रान्तों में जाकर भी आजादी की लड़ाई में भाग लिया। मथुरा जिला उन दिनों कांग्रेस संगठन की दृष्टि से दिल्ली प्रान्त में सम्मिलित था। अतएव दिल्ली से समय-समय पर यहाँ कांग्रेस नेताओं का आगमन होता रहता था। उनके आगमन से जनता देश के कार्यों को करने के लिए प्रोत्साहित होती थी । 30 अयोध्या प्रसाद गोयलीय भी नेताओं के आह्वान पर दिल्ली चले आये और असहयोग आन्दोलन में दिन-रात मेहनत करने लगे । उन्होंने स्वयं लिखा है- 'सन् 1919 में रौलट एक्ट विरोधी आन्दोलन के फलस्वरूप अध्ययन के बन्धन को तोड़कर सन् 1920 में मैं दिल्ली चला आया और गली-गली, कूचे-कूचे में घूमकर खद्दर बेचने लगा ।' 1 52 :: भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन में उत्तरप्रदेश जैन समाज का योगदान एकका
SR No.022866
Book TitleBhartiya Swatantrata Andolan Me Uttar Pradesh Jain Samaj Ka Yogdan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmit Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2014
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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