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________________ 30 सितम्बर 1924 को मुजफ्फरनगर रामलीला जुलूस के दौरान 'गांदियान' मस्जिद के पास कुछ मुसलमान ‘या अली' कहकर चिल्ला उठे। इससे कुछ सनसनी फैल गयी, परन्तु जुलूस तीन घण्टे तक बराबर शांति से चलता रहा और उसके बाद भी मुस्लिम व हिन्दु समाज के सम्बन्ध सामान्य रहे। परन्तु इस घटना का फायदा उठाने के लिए 5 अक्टूबर को जिला मजिस्ट्रेट जी.के. डलिंग का एक हुक्म सबडिविजनल अफसर की मार्फत कुछ नेताओं के पास पहुंचा, जिसमें कहा गया कि मस्जिद की नमाज के वक्त और जुलूस निकालने के समय में आधे घण्टे का फर्क जरूर रहना चाहिए। जनपद के समाजसेवियों ने इस हुक्म को नापसंद किया। इस सम्बन्ध में एक दल जिला मजिस्ट्रेट से मिलने गया, परन्तु मजिस्ट्रेट अपने हुक्म पर अड़े रहे। दूसरे दिन दशहरे को मजिस्ट्रेट घोड़े पर सवार होकर हथियार बंद पुलिस के साथ शहर से निकले और कोतवाली के सामने सदर सड़क पर अपना सारा दल खड़ा करके शहर के नामी रईस और नागरिकों को तहसील के चपरासी द्वारा वहाँ बुलाया। सभी को बीच में खड़ा करके जिला मजिस्ट्रेट ने उन्हें अपमानजनक शब्द कहे। लाला आनन्दस्वरूप, लाला जगदीशप्रसाद एम.एल.सी, लाला केशवदास पर विभिन्न आरोप लगाये गये। म्यूनिसिपल बोर्ड के चेयरमैन लाला सुमतप्रसाद जैन बी.ए. से यह पूछा गया कि आप कल लाला सुखबीर सिंह आदि के साथ हमारे (जिला मजिस्ट्रेट) बंगले पर क्यों नहीं आये? इसके बाद जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस सुपरिन्टेन्डेंट कुर्सी पर बैठ गये और उन्होंने हुक्म सुनाया कि एक सप्ताह के लिए सभी को स्पेशल कॉन्स्टेबल बनना होगा। सुमतप्रसाद जैन ने स्पेशल कॉन्स्टेबल बनने से साफ इन्कार कर दिया। उन्होंने कहा कि नगर में उपद्रव मचने की कोई आशंका नहीं है, मैंने कल की सभा में ‘अहिंसा' का उपदेश दिया था। मुझे स्पेशल कॉन्स्टेबल बनने से साफ इन्कार है, चाहे मुझे जो सजा दी जाये। श्री जैन पर पुलिस कानून की दफा 19 में मुकदमा चलाया गया। इस समाचार से जहाँ अंग्रेज अफसरों की निरंकुशता का पता चलता है, वहीं दूसरी ओर श्री जैन की निडरता और दृढ़ता का भी आभास होता है। इस प्रकार मुजफ्फरनगर में जैन समाज ने अंग्रेजी शासन का कड़ा मुकाबला किया। मेरठ जिले के पुरुष और महिलाओं ने सक्रिय होकर 1920-21 के असहयोग आन्दोलन में भाग लिया। 1921 में महात्मा गाँधी ने मेरठ का दौरा किया और एक विशाल जनसभा को सम्बोधित किया, जिसमें 50,000 लोग उपस्थित थे। मेरठ के जैन समाज ने असहयोग आन्दोलन में बढ़-चढ़कर भाग लिया। कीर्तिप्रसाद जैन, रिसालसिंह जैन, अतरसेन जैन, भगवानदास जैन, सुमतप्रसाद जैन छपरौली, भगवती प्रसाद जैन हापुड़, चतरसेन जैन सरधना, सुखबीरसिंह जैन, उमरावसिंह जैन, ऋषभदास जैन, ओमप्रकाश जैन, उग्रसैन जैन आदि अनेकों जैनों ने आन्दोलन की असहयोग आन्दोलन और जैन समाज की भूमिका :: 47
SR No.022866
Book TitleBhartiya Swatantrata Andolan Me Uttar Pradesh Jain Samaj Ka Yogdan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmit Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2014
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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