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________________ में वाणिज्य, कला तथा विज्ञान संकायों में शिक्षण होने लगा। प्रद्युम्न कुमार जैन ने विद्यालय की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए अपनी भूमि पर अच्छे बाजार का निर्माण कराया, जिससे विद्यालय को प्रतिवर्ष दस हजार रुपये की निश्चित आय होने लगी। जनपद सहारनपुर में उस समय कोई भी डिग्री कॉलेज नहीं था। इस कमी को पूरा करने के लिए श्री जैन ने अपनी सौ बीघा जमीन दान में दे दी तथा अपनी तिजोरी का मुँह डिग्री कॉलेज निर्माण के लिए खोल दिया। डिग्री कॉलेज के प्रबन्धन हेतु प्रद्युम्नकुमार जैन को जम्बू जैन इण्टर कॉलेज के प्रधानाध्यापक रूपचन्द जैन, सलावा (मेरठ) का भी सहयोग मिला। शीघ्र ही यह डिग्री कॉलेज बनकर तैयार हो गया। यह डिग्री कॉलेज जम्बू विद्यालय जैन डिग्री कॉलेज उर्फ जे.वी. जैन जुगमन्दरलाल जैन कॉलेज सहारनपुर के नाम से वर्तमान में सम्पूर्ण पश्चिमोत्तर प्रदेश में अपना विशिष्ट स्थान रखता है। सहारनपुर में जैन समाज द्वारा संचालित जैन अस्पताल भी जनता की महत्त्वपूर्ण सेवा कर रहा है। 1916 में महात्मा गाँधी और मदन मोहन मालवीय जी ने जैन अस्पताल का दौरा करके उसके कार्यों की सराहना की थी। बैरिस्टर जुगमन्दरलाल जैन, बाबू विशालचन्द्र जैन, श्रीमती चन्द्रवती जैन सहारनपुर ने भी सामाजिक क्षेत्र में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। बैरिस्टर जुगमन्दरलाल जैन ने 1910 में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के जेटर कॉलेज से वकालत की डिग्री ली। उसके बाद 1914 में वे इन्दौर राज्य के न्यायाधीश बने। ब्रिटिश सरकार ने उन्हें ऑनरेरी मजिस्ट्रेट तथा व्यवस्था विद्यायिनी सभा का अध्यक्ष बनाकर 'रायबहादुर' की उपाधि भी प्रदान की। अंग्रेजों द्वारा सभी उपाधियाँ देने के बाद भी वह कभी सरकार के आगे नहीं झुके। वह कहते थे, भारत के रईसों और अमीरों ने देखा है नवाबी जमाना या देखी है, हिन्दू रियासतें। अगर इन्होंने कभी विलायत जाकर अंग्रेजों का जीवन देखा होता, तो वह अंग्रेजों से इस तरह न मिलते, जिस तरह आज-कल मिलते हैं। ये भारतीय तीन कौड़ी के अंग्रेज को लाखों रुपये का बना देते हैं। इसमें कुसुर अंग्रेजों का है या हिन्दुस्तानियों का? मजाल है, कोई बड़े से बड़ा अंग्रेज मेरे साथ इस तरह का बर्ताव करे, जैसा वह यहाँ के रईसों से करता है। एक बार स्वतंत्रता सेनानी महात्मा भगवानदीन से उन्होंने कहा था-मैं कई 30 :: भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन में उत्तरप्रदेश जैन समाज का योगदान
SR No.022866
Book TitleBhartiya Swatantrata Andolan Me Uttar Pradesh Jain Samaj Ka Yogdan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmit Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2014
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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