SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 217
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पुराने देशभक्त कार्यकर्ताओं के साथ ही बड़ी संख्या में नये कार्यकर्ताओं ने इस आन्दोलन में भाग लेना प्रारम्भ कर दिया। उत्तरप्रदेश के जैन समाज ने इस आन्दोलन में भी बड़ी संख्या में भाग लिया। इस आन्दोलन में अहिंसा का पालन करने वाले जैन समाज ने भी हिंसक गतिविधियों में बढ़-चढ़कर भाग लिया। 'भारत छोड़ो' आन्दोलन में उत्तरप्रदेश के जैन छात्र ने भी अपनी अहम् भूमिका अदा की। मुजफ्फरनगर के डी.ए.वी एवं एस.डी. इण्टर कॉलेज में अध्ययनरत् छात्रों ने पूरे शहर में सरकार विरोधी जुलूस निकाले। इस जुलूस में जैन छात्र भी बड़ी संख्या में सम्मिलित हुए। अंग्रेजी पुलिस ने इन विद्यार्थियों को गिरफ्तार कर लिया। बनारस के स्याद्वाद जैन महाविद्यालय के छात्रों ने सरकार विरोधी पर्चे छपवाये और उन्हें काशी की गली-गली में वितरित कराया। इन पर्यों से सरकार परेशान हो गयी और उसने इस अपराध में जैन छात्रों को गिरफ्तार कर लिया। जैन छात्र संघ के सदस्यों ने गांव-गांव जाकर सरकारी सम्पत्ति को नुकसान पहुँचाने अर्थात तोड़ने-फोड़ने का कार्य भी किया। इन छात्रों ने काशी के बड़े-बड़े नेताओं के नेतृत्व में जगह-जगह जाकर हड़ताल करायी। संस्कृत की छोटी से छोटी पाठशाला से लेकर क्वींस कॉलेज तक हड़ताल के लिए उन्होंने धावा बोला। इस आन्दोलन के फलस्वरूप अंग्रेजी सरकार को यह पता लग गया कि देश में राष्ट्रीयता की भावना उस सीमा के पार पहुंच चुकी है, जहाँ जनता अपनी स्वतंत्रता के अधिकार को प्राप्त करने के लिए बड़ी से बड़ी तकलीफें उठाने और कुर्बानी देने को तैयार है। इस आन्दोलन के फलस्वरूप ही अंग्रेजी सरकार को यह स्पष्ट हो गया कि भारत में उनके साम्राज्यवादी शासन के सिर्फ गिने-चुने दिन ही शेष रह गये हैं। विभिन्न जैन पत्र-पत्रिकाओं ने भी भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन को आगे बढ़ाने में अपनी विशेष भूमिका अदा की। इन पत्रों ने भारतीय जनता को देशभक्ति का पाठ पढ़ाया और अंग्रेजी शासन को उखाड़ फेंकने का संकल्प लेने में सहायता दी। प्रदेश से प्रकाशित एवं संचालित जैन पत्र-पत्रिकाओं ने निरन्तर जैन समाज को आन्दोलन से जोड़े रखा। 'जैन गजट' (साप्ताहिक पत्र) ने देशवासियों को स्वदेशी व्रत ग्रहण करके देश के कल्याण में सहयोगी बनने के लिए प्रोत्साहित किया। पत्र ने विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करने के लिए समाज को प्रेरित किया। इस पत्र ने आह्वान किया कि स्वदेशी वस्तुओं का प्रचार और अविष्कार करो। 'जैन गजट' ने अपने प्रत्येक अंक में स्वदेशी वस्तुओं के प्रचार-प्रसार एवं विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार हेतु अनेक लेख लिखे। ___'जैन हितैषी' मासिक पत्र ने जैन समाज को राष्ट्रीय आन्दोलन में भाग लेने हेतु प्रेरित किया। पत्र ने लिखा कि बिना स्वराज्य मिले हमारे देश का वास्तविक कल्याण नहीं हो सकता। जैन समाज का आह्वान करते हुए पत्र ने लिखा कि प्यारे निष्कर्ष :: 215
SR No.022866
Book TitleBhartiya Swatantrata Andolan Me Uttar Pradesh Jain Samaj Ka Yogdan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmit Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2014
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy