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________________ उत्तर प्रदेश के जैन समाज का आर्थिक, सामाजिक और राजनैतिक विकास में योगदान आर्थिक विकास में योगदान की जैन परम्परा के प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव ने युग के प्रारम्भ में देशवासियों को षट्कर्मों का उपदेश दिया था। इन षट्कर्मों असि, मसि, कृषि, विद्या, वाणिज्य और शिल्प के द्वारा उन्होंने न्यायपूर्वक जीविकार्जन करने का मार्ग दिखाया। ऋषभदेव का जन्म उत्तर प्रदेश की प्राचीनतम नगरी 'अयोध्या' में हुआ था। उनके द्वारा दिग्दर्शित षट्कर्मों ने आगे चलकर उद्योगों का रूप ग्रहण कर लिया। ये उद्योग लघु और कुटीर उद्योग के रूप में प्रचलित हो गये। जैन अनुयायियों ने औद्योगिक दृष्टि से वस्त्र, धातु, लौह, स्वर्ण, रत्न, भांड, काष्ठ आदि के उद्योगों में लोकप्रियता प्राप्त की। जैन व्यापारियों ने देश के साथ ही विदेशों में जाकर भी व्यापार किया और समृद्धि प्राप्त की। राजस्थान, गुजरात और मद्रास के व्यापार पर जैन वणिकों का नियंत्रण था। दक्षिण भारत में भी जैन व्यापारी मजबूत स्थिति में थे। अंग्रेजी राज में जैन समाज ने पूर्व की भाँति ही व्यापार के क्षेत्र में अपना योगदान किया। वाईसराय लार्ड कर्जन ने एक बार कहा था-जैन कौम भारत में बहुत प्रसिद्ध व्यापारी कौम है। भारत का दो तिहाई व्यापार जैन समाज के द्वारा होता है। इस कौम के लोग बहुत सूक्ष्मदर्शी हैं, इसलिए जवाहरात का अधिक व्यापार इस समुदाय के हाथ में है। इस कौम के लोग जिधर लग जाते हैं, उधर अपना पूर्ण यश प्रकट कर देते हैं। तत्कालीन संयुक्त प्रान्त के जैन समाज ने देश के आर्थिक विकास में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान किया। कई जैन परिवारों ने राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त की। इन जैन साहू सलेकचंद जैन उत्तरप्रदेश के जैन समाज... :: 19
SR No.022866
Book TitleBhartiya Swatantrata Andolan Me Uttar Pradesh Jain Samaj Ka Yogdan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmit Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2014
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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