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________________ साल अक्षय जी इन आशाओं पर खरे उतरे तथा 1940 में उन्होंने एटा से प्रकाशित 'सुदर्शन' नामक मासिक पत्रिका के सम्पादक का पद ग्रहण किया। सम्पादक के रूप में श्री जैन ने देश की तत्कालीन परिस्थिति के अनुकूल राष्ट्रीय आन्दोलन के समर्थन में तथा ब्रिटिश सरकार के विरोध में लिखना शुरू कर दिया। उन्होंने आगरा से प्रकाशित प्रसिद्ध पत्र 'सैनिक' में भी अपनी सेवायें दी। इस पत्र के मुख्य सम्पादक कृष्णदत्त पालीवाल बड़े क्रांतिकारी और देशभक्त थे। व अक्षयजी को बचपन से ही देश के महान् नेताओं का सानिध्य मिला था, जिसकी छाप उनकी लेखन शैली पर स्पष्ट दिखाई देती है। 1933 में वे काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के छात्र रहते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति महामना पंडित मदनमोहन मालवीय से बहुत अधिक प्रभावित हुए थे। मालवीयजी ने एक बार उन्हें अपने हाथों से प्रसाद भी खिलाया था। प्रति देशभक्ति से ओतप्रोत अक्षयकुमार जैन ने भारत छोड़ो आन्दोलन में जेल यात्रा की। उसके बाद उन्होंने 1946 तक जैन समाज के प्रमुख साप्ताहिक पत्र 'वीर' का सम्पादन किया। 'वीर' में भी वे देश के आन्दोलन के बारे में लिखते रहे। 4 अप्रैल, 1947 को दिल्ली से नवभारत टाइम्स का प्रकाशन प्रारम्भ हुआ। श्री जैन प्रारम्भ से ही पत्र से जुड़ गये और 1955 में वे अखबार के प्रधान सम्पादक बने। _ अक्षयकुमार जैन के साहित्य ने भी अपार ख्याति प्राप्त की। उनकी कृतियों में अमर शहीद इन्दिरा गाँधी, कहानियाँ बलिदान की, छत्रपति शिवाजी, जेल से जसलोक तक, देश प्रेम की कहानियाँ, बुझेगी नहीं मशाल, भारत-पाक युद्ध डायरी, याद रही बातें, युग पुरुष राम, विश्व के महापुरुष, साहसी संसार, हमारे परम वीर सेनानी आदि प्रमुख हैं।ादी शांतिस्वरूप जैन 'कुसुम' ग्राम धनोरा (जिला-मेरठ) में 24 अक्टूबर, 1923 को जन्मे शांति स्वरूप जैन अपने जीवन के अधिकांश वर्ष सहारनपुर में रहे और यही पर उन्होंने भारत छोड़ो आन्दोलन में सक्रिय भाग लेने के कारण जेल यात्रा की। म स्वतंत्रता आन्दोलन में श्री कुसुम ने अपने गीतों से उत्साह का संचार किया। सन् 1935 में बारह वर्ष की आयु में उन्होंने अपना पहला गीत 'हम करते वन्दन तेरा' मातृभूमि को समर्पित किया। उसके बाद कवि ने सहारनपुर में जगह-जगह जाकर काव्य गोष्ठियों में भाग लिया और अपने गीत सुनाये। शीघ्र ही भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन के अन्य उपक्रमों में जैन समाज का योगदान :: 199
SR No.022866
Book TitleBhartiya Swatantrata Andolan Me Uttar Pradesh Jain Samaj Ka Yogdan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmit Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2014
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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