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________________ बस नहीं चलता, वरना इसी को सबसे पहले फाँसी पर लटका दें। भगत सिंह और उनके साथियों के बलिदान के बाद कानपुर में हुई प्रतिक्रिया का वर्णन करते हुए लेखक ने लिखा कि कानपुर कांग्रेस कमेटी ने भगत सिंह को श्रद्धांजलि देने के लिए हड़ताल का मार्ग चुना। हड़ताल कराने के लिए चली मंडली में शामिल कुछ असामाजिक तत्वों के कारण नगर में हिन्दू-मुस्लिम के दंगे भड़क उठे। चारो तरफ लूट-पाट होने लगी, गोलियाँ चलने लगी, रक्त बहने लगा, ऐसे समय में वह भगत सिंह के बदले की हुंकार भरने वाली रंगीन फौज गायब हो गई। उनका पता अब ढूँढे न मिलेगा। वे तो राम जाने किस तहखाने में जा छिपे हैं। लेखक हिन्दू-मुसलमानों के बीच सेवा कार्य कर रहे गणेशशंकर विद्यार्थी की प्रशंसा करते हैं तथा उन लोगों पर कटाक्ष करते हैं, जो ऐसे अवसर पर गायब हो गये हैं। कहानी में उन्होंने बुंदू चप्पल विक्रेता तथा मुरलीधर और चंदो पति-पत्नी का मार्मिक वर्णन किया है, जो इन दंगों का शिकार बने। उन्होंने लिखा-'बाजार के एक वीरान कोने में कुछ फौजी खड़े हैं, किसी की बंदूक कंधे पर है, किसी की जमीन पर, किसी की बगल में। एक अंग्रेज फोटूग्राफर उनका फोटू ले रहा है। दूसरे बाजार में दुकानें जल रही हैं, मार-काट हो रही है, शोर मच रहा है और इधर ये मिलिट्री के जवान उधर से बेखबर मुस्कुराते हुए फोटो खिंचवा रहे हैं। यह हुआ भगत सिंह का बदला और नाम की हड़ताल तथा झूठे प्रदर्शन का परिणाम।' । लेखक भारतवासियों को प्रेरणा देते हुए यह कहते हैं कि हमें इन झूठे कार्यों से बचकर सच्चे मन से देश को आजाद कराने के लिए परिश्रम करना चाहिए। उन्होंने लिखा-हिन्दू-मुसलमान प्रत्येक भारतवासी को समझ लेना चाहिए कि इंग्लैण्ड वाले हमारे हितैषी नहीं हैं, उनसे रक्षा की आशा हमें नहीं रखनी चाहिए, हमें तो अपने व्यक्तित्व इतने उज्ज्वल और विकार रहित बना लेने चाहिए कि एक-दूसरे के गले मिलकर रह सकें और समय आने पर एक-दूसरे की रक्षा और सहायता कर सकें। ___छोटी बेटी' शीर्षक से लिखी कहानी जो 'हड़ताल' कहानी संग्रह में संकलित है, में लेखक ने 5 मई, 1930 की प्रातःकाल का वर्णन किया है। इस दिन महात्मा की गिरफ्तारी का समाचार मिलते ही स्वयंसेवकों ने बाजार बंद करा दिया और वे एक गर्ल्स स्कूल को बंद कराने के लिए पहुंचे। उस गर्ल्स स्कूल की प्रिंसिपल रायबहादुर एन.एन. सरकार की पत्नी है। मिसेज सरकार ने किसी भी कीमत पर अपना स्कूल बंद न करने का ऐलान कर दिया। हड़ताल कराने वालों की नेता भी एक स्त्री थी, उसने प्रिंसिपल महोदया से कई बार स्कूल बंद करने का आग्रह किया, इस पर मिसेज सरकार क्रोधित हो गयी और उन्होंने पुलिस को बुला लिया। पच्चीस-तीस हट्टे-कट्टे सिपाहियों ने आकर हड़तालियों की गिरफ्तारियां शुरू कर दी। सिपाही एक स्वयंसेवक से झंडा छीनना चाहता था, इस छीना-झपटी में जैसे 192 :: भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन में उत्तरप्रदेश जैन समाज का योगदान
SR No.022866
Book TitleBhartiya Swatantrata Andolan Me Uttar Pradesh Jain Samaj Ka Yogdan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmit Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2014
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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