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________________ जितेन्द्रियता, संयम और अहिंसा। जहाँ अहिंसा है, वहाँ द्वेषभाव नहीं रह सकता है। दुनिया को यह पाठ पढ़ाने की जवाबदारी आज नहीं, तो कल अहिंसात्मक संस्कृति का पालन करने वाले जैनियों को ही लेनी होगी।' आचार्य नरेन्द्र देव ने अपने संदेश में लिखा-'यह जानकर प्रसन्नता हुई कि आपका पत्र (जैन संदेश) सामाजिक होते हुए भी राष्ट्रीय दृष्टिकोण रखता है और राष्ट्र की सब ही स्वस्थ प्रवृत्तियों में अपना सहयोग प्रदान करता है। विविध सम्प्रदायों को अपनी संकुचित मनोवृत्ति का परित्याग कर उदार राष्ट्रीय भावना से काम लेना चाहिए। आशा है कि आपका पत्र सतत इस बात की चेष्टा करेगा कि हमारे जैन भाई राष्ट्रहित के सभी कार्यों में सहयोग दें।' बम्बई लेजिस्लेटिव एसेम्बली के स्पीकर कुन्दनमल फिरोदिया ने अपने संदेश में कहा-'मैं जैनों के वास्ते दूसरा क्या संदेश दे सकता हूँ? अलावा इसके कि जैन इस शब्द में ही समता, सेवा और संयम इनका संग्रह हो जाता है। इन तीनों अंगों की अब दुनिया को बहुत जरूरत है। सब जैन इस समय खड़े होकर 'जैन क्या कर सकता है' यह दुनियां को बतला देंगे और महात्मा गाँधी जिस अहिंसा का तत्व लेकर खड़े हैं, उसको सहायता देंगे, यही मुझे जैन समाज से आशा है।' . बाबू सम्पूर्णानन्द, बाबू श्री प्रकाश, बम्बई के मंत्री वी.जी. खेर, मध्य प्रान्त के मंत्री पंडित द्वारकाप्रसाद मिश्र तथा अनेक एसेम्बली और विधान परिषद् सदस्यों ने 'जैन संदेश' को राष्ट्रीय अंक निकालने पर शुभकामना और सफलता के संदेश भेजे। _ 'जैन संदेश' ने अपने सम्पादकीय में लिखा-जैन समाज ने भारत के स्वतंत्रता युद्ध में भरसक सहायता और सहयोग दिया है। हमारा विश्वास है कि जैन समाज अनुपात की दृष्टि से इस युद्ध में पहली पंक्ति में रही है। उसने जन, धन को इसके लिए पर्याप्त मात्रा में अर्पण किया है।" जैन संदेश' ने अपने इस महत्वपूर्ण अंक में संयुक्त प्रान्त के साथ ही सम्पूर्ण भारत वर्ष के जैन स्वतंत्रता सेनानियों का विवरण प्रकाशित किया। यह अंक 23 अध्यायों में बंटा था। इन अध्यायों में ‘वर्णी जी की चादर, आजाद हिन्द फौज में जैन, वे फाँसी के तख्ते पर भी मुस्कुराये थे, संयुक्त प्रान्त का राष्ट्रीय क्षेत्र में महत्वपूर्ण भाग, मध्य प्रान्त के राष्ट्रीय जैन, मालवा और राजपूताना के राष्ट्रीय जैन, बिहार बंगाल के राष्ट्रीय जैन, बम्बई प्रान्त के राष्ट्रीय जैन, देहली और पंजाब के राष्ट्रीय जैन, स्फूट राष्ट्रीय जैन, विभिन्न धारा सभाओं के जैन सदस्य' आदि लेख तथा कई राष्ट्रीय कविताएँ बहुत लोकप्रिय हुई। इस प्रकार 'जैन संदेश' ने स्वतंत्रता संग्राम के अन्त तक देशभक्ति की भावना का प्रचार किया तथा जैन समुदाय को देशसेवा में आगे आने को प्रेरित किया। 15 186 :: भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन में उत्तरप्रदेश जैन समाज का योगदान
SR No.022866
Book TitleBhartiya Swatantrata Andolan Me Uttar Pradesh Jain Samaj Ka Yogdan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmit Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2014
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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