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________________ 'अहिंसा' पत्र निकाला गया, तो सरसावा से 'अनेकान्त' नामक मासिक पत्रिका का प्रारम्भ सन् 1929 में किया गया। मेरठ से 'वीर' नामक मासिक पत्र 8 नवम्बर 1923 से प्रारम्भ हुआ, जो आज भी निरन्तर प्रकाशित हो रहा है। मेरठ की जैनकुमार सभा का पत्र भी आजादी के आन्दोलन में सहायक बना। बिजनौर से 1928 में 'आदर्श जैन चरित्र' तथा 1933 में 'जैन दर्शन' नामक पत्रों का प्रारम्भ हुआ। मुरादाबाद से 1920 में 'वैद्य', हाथरस से 1916 में 'जैन मार्तण्ड', बुलन्दशहर से 1927 में सनातन जैन, ललितपुर से 1932 में सिद्धि, मथुरा से मई 1937 से जैन संदेश, इलाहाबाद से जैन पत्रिका, जैन होस्टल मैगजीन तथा फिरोजाबाद से 1926 में उत्कर्ष नामक पत्र निकाला गया। इसके अतिरिक्त भी अनेक पत्र-पत्रिकाओं के प्रकाशित होने की सम्भावना हो सकती है। आजादी की लड़ाई में 'जैन मित्र', का योगदान भी सदैव स्मरणीय रहेगा। 'जैन मित्र' की स्थापना आगरा निवासी पंडित गोपालदास जैन 'बरैया' ने की थी। 1909 से 1929 तक ब्रह्मचारी सीतलप्रसाद इसके सम्पादक रहे। ब्रह्मचारी जी की प्रेरणा से जैन मित्र ने लगातार जैन समाज को स्वतंत्रता आन्दोलन में भाग लेने को प्रेरित किया। इसी प्रकार 'दिगम्बर जैन', जैनमहिलादर्श आदि पत्रिकाओं ने भी आजादी का बिगुल बजाया। जैन पत्र-पत्रिकाओं के अतिरिक्त जैन समाज ने सार्वजनिक पत्रकारिता के क्षेत्र में भी सक्रिय रहकर स्वतंत्रता आन्दोलन में अपना योगदान दिया। महेन्द्र जी (आगरा) ने सैनिक, साहित्य संदेश, आगरा पंच, आगरा सत्याग्रह समाचार, हिन्दुस्तान समाचार, सैनिक का सिंहनाद आदि पत्रों के माध्यम से न केवल आगरा में अपितु पूरे संयुक्त प्रान्त में आजादी का बिगुल बजाया। अक्षयकुमार जैन ने सैनिक, सनातन जैन और वीर के माध्यम से देश सेवा में हाथ बँटाया। अयोध्याप्रसाद गोयलीय, यशपाल जैन, जैनेन्द्रकुमार ने क्रमशः अनेकान्त (मासिक), जीवन सुधा (मासिक), लोकजीवन (मासिक) आदि पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से देश सेवा की। असहयोग आन्दोलन, सविनय अवज्ञा आन्दोलन, भारत छोड़ो आन्दोलन में तो . जैन पत्र-पत्रिकाओं का योगदान रहा ही, इन आन्दोलनों के प्रारम्भ होने से पूर्व ही जैन पत्रों ने देशवासियों के हृदय में देश के प्रति समर्पण की भावना जगानी प्रारम्भ कर दी थी। साप्ताहिक जैन पत्र 'जैन गजट' ने अपने प्रकाशन वर्ष 1895 से लगातार 1947 तक देश के स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया। पत्र के सम्पादकीय देशभक्ति की भावना से ओत-प्रोत रहते थे। ___16 दिसम्बर, 1907 को जैन गजट में 'बंदेमातरम् और जैन जाति' शीर्षक से लिखा गया सम्पादकीय लेख काफी लोकप्रिय हुआ। सम्पादक ने लिखा-आजकल 160 :: भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन में उत्तरप्रदेश जैन समाज का योगदान
SR No.022866
Book TitleBhartiya Swatantrata Andolan Me Uttar Pradesh Jain Samaj Ka Yogdan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmit Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2014
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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