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________________ भी देश के साथ खड़े रहे। श्री जैन ने 1941 के व्यक्तिगत सत्याग्रह आन्दोलन में भी भाग लिया था, जिसके कारण उन्हें 6 महीने का कारावास और 100 रुपये जुर्माने की सजा हुई थी। 50 भारत छोड़ो आन्दोलन में उन्होंने बनारस कांग्रेस कमेटी में सक्रिय भाग लेना प्रारम्भ कर दिया। फलस्वरूप श्री जैन को 1942 के अंतिम महीने में गिरफ्तार कर लिया गया और उन्हें 25 दिसम्बर 1944 तक नजरबंद रखा गया। खुशालचंद्र जैन ने बनारस के साथ-साथ पूरे प्रदेश में राष्ट्रीय आन्दोलन को मजबूती से चलाने में अपना सहयोग दिया। 1941 के व्यक्तिगत सत्याग्रह आन्दोलन के दौरान श्री जैन उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मंत्री थे।।5। इस पद पर रहते हुए उन्होंने कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को अंग्रेजी सरकार के विरुद्ध कार्य करने को प्रशिक्षित किया। 25 जुलाई 1941 को उन्होंने व्यक्तिगत सत्याग्रह में भाग लिया। सरकार ने उन्हें दफा 129 और दफा 39 के अंतर्गत गिरफ्तार कर लिया और फरवरी 1942 तक जेल में रखा। 52 जेल से आने के बाद उन्होंने भारत छोड़ो आन्दोलन की तैयारी प्रारम्भ कर दी। इस आन्दोलन में उन्होंने हिन्दू विश्वविद्यालय, स्याद्वाद जैन महाविद्यालय एवं अन्य शिक्षण संस्थाओं के विद्यार्थियों को साथ लेकर पूरे बनारस में ब्रिटिश सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किये। फलस्वरूप सरकार ने 3 सितम्बर, 1942 को उन्हें गिरफ्तार करके जेल भेज दिया। श्री जैन को 31 दिसम्बर, 1944 तक जेल में रखा गया। 53 इस प्रकार बनारस जिले में तो जैन समाज के नागरिकों ने अपना सक्रिय योगदान दिया ही साथ ही पूरे उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को मजबूत बनाने में भी यहाँ के जैन समाज का सहयोग रहा। उपर्युक्त अध्ययन के आधार पर यह स्पष्ट है कि भारत छोड़ो आन्दोलन में जैन समाज का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा। इस आन्दोलन के माध्यम से भारतीय जनता ने अंग्रेजों के विरुद्ध अपना आक्रोश खुलकर व्यक्त किया। जनता ने अंग्रेजी सरकार को यह बता दिया कि देश में क्रांति की भावना उस सीमा के पार पहुंच चुकी है, जहाँ पर जनता अपनी स्वतंत्रता के अधिकार के लिए बड़ी से बड़ी तकलीफें उठाने और बलिदान देने को तैयार है। इस आन्दोलन में उठे व्यापक जन आक्रोश से अंग्रेजी सरकार के दिमाग में यह बात अच्छी तरह आ गयी कि भारत में उनके साम्राज्यवादी शासन के सिर्फ गिने-चुने दिन शेष रह गये हैं। सन् 1942 का आंदोलन एक अर्थ में भारत के स्वतंत्रता आन्दोलन की समाप्ति का परिचायक था। इस विद्रोह के बाद प्रश्न सिर्फ यह तय करने का रह गया था कि सत्ता का हस्तांतरण किस तरीके से हो और स्वतंत्रता के बाद सरकार का स्वरूप क्या हो? 3 जून 1947 को लार्ड माउंटबेटेन को भारत का वायसराय बनाया गया। कांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच सत्ता को लेकर भयंकर मतभेद पैदा हो गये थे। भारत छोड़ो आन्दोलन में जैन समाज का योगदान :: 151
SR No.022866
Book TitleBhartiya Swatantrata Andolan Me Uttar Pradesh Jain Samaj Ka Yogdan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmit Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2014
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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