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________________ जैन समाज से चंदा एकत्रित किया तथा सरकार विरोधी कार्य करने के लिए छात्रों की अलग-अलग समितियां भी बनाई गयी । 1 जैन छात्र संघ ने सर्वप्रथम अपना कार्यक्षेत्र ग्रामीण इलाकों को चुना। छात्र गाँव-गाँव जाकर सरकारी सम्पत्ति को तोड़ने-फोड़ने का कार्य करने लगे । इस कार्य में छोटी उम्र के विद्यार्थियों ने भी भाग लिया। जैन महाविद्यालय के ऐसे छात्रों को इस दौरान कठिनाई का सामना करना पड़ा, जो दूसरे प्रान्तों के रहनेवाले थे, वे छात्र बनारस के आसपास की स्थिति का सही ज्ञान न होने के कारण कभी-कभी भटक भी जाते थे । 'जैन संदेश' के तत्कालीन अंक के अनुसार बाहरी प्रान्तों के कई जैन छात्र काशी के एक गाँव में सरकार विरोधी गतिविधि को अंजाम देने के लिए रवाना हुए। ये छात्र सही मार्ग का पता न होने के कारण रात भर भटकते रहे और जब लक्ष्य पर पहुँचे, तो पता चला कि वहाँ कार्य समाप्त हो चुका है। कभी ये क्रांतिकारी वीर चढ़ी हुई गंगा की लहरों पर नौका खेते होते और कभी खेतों की अनजान पगडंडियों में अंधेरी और बदली भरी रातों नंगे पैर चलते रहते। 146 इस प्रकार बाहरी जैन छात्रों ने कठिनाई के बीच भी इस आन्दोलन में अपना सक्रिय योगदान दिया । अंग्रेजी सरकार दिन-प्रतिदिन नये-नये कानूनों द्वारा आन्दोलनकारियों पर शिकंजा कस रही थी। 19 अगस्त, 1942 को सरकार ने संयुक्त प्रान्त में 'सेना विशेषाधिकार कानून' लागू कर दिया। इस संदर्भ में 'आज' ने लिखा कि पूरे संयुक्त प्रान्त में सशस्त्र सैनिक विशेष अधिकार कानून लागू कर दिया गया है । इस कानून के अनुसार यदि सन्तरी की आज्ञा की भी अवज्ञा की गयी या सैनिकों की रक्षा में : रखी गयी किसी भी प्रकार की सम्पत्ति की सुरक्षा के लिए खतरा पैदा हुआ, तो अपराधी को गिरफ्तार करके फौज बन्दूक आदि का उपयोग कर सकती है, जिसके कारण मौत भी हो सकती है। संयुक्त प्रान्त के गवर्नर ने भारत रक्षा नियम 9 के अनुसार यह भी आज्ञा जारी की है कि किसी मजिस्ट्रेट या पुलिस अफसर की आज्ञा के बिना किसी असली मुसाफिर या सरकारी कर्मचारी के अतिरिक्त कोई भी रेलवे की बिल्डिंग अथवा उसकी जमीन पर नहीं जा सकेगा। जो इस आज्ञा का उल्लंघन करेगा, उसे 3 साल की सजा और जुर्माना भुगतना पड़ेगा। 147 अंग्रेजी सरकार की खूफिया नजर स्याद्वाद जैन महाविद्यालय पर भी पड़ चुकी थी । अतः उसने एक साथ छापा मारकर विद्यालय के कुछ देशभक्त छात्रों को गिरफ्तार कर लिया। इन छात्रों में घनश्यामदास जैन, रतनचंद जैन धन्यकुमार जैन, हरीन्द्र भूषण जैन, नाभिनन्दन जैन, दयाचंद जैन, सुगमचंद जैन आदि प्रमुख थे । इन सभी छात्रों को जिला कारागार बनारस में रखा गया। उस समय जिला कारागार में रतनचंद जैन और सुगमचंद जैन सबसे कम उम्र के कैदी थे । इन कैदियों में से दयाचंद जैन टीकमगढ़ म.प्र. के रहनेवाले थे। श्री जैन जेल से वापिस आकर भारत छोड़ो आन्दोलन में जैन समाज का योगदान :: 149
SR No.022866
Book TitleBhartiya Swatantrata Andolan Me Uttar Pradesh Jain Samaj Ka Yogdan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmit Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2014
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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