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________________ कानपुर में प्रदर्शनकारियों ने टेलीफोन के बक्सों को जला दिया तथा रेलवे लाइन पर तोड़फोड़ की। अंग्रेजी सरकार ने प्रदर्शनकारियों का दमन करना प्रारम्भ कर दिया। 10 अगस्त, 1942 की रिपोर्ट के अनुसार पुलिस ने जुलूस निकाल रहे विद्यार्थियों पर गोलियां चलाई। इस घटना में पाँच विद्यार्थी जख्मी हो गये। कानपुर में पुलिस की सहायता के लिए फौजी सैनिकों को भी तैनात किया गया था। 35 कांग्रेस के प्रमुख कार्यकर्ताओं को खोज-खोज कर गिरफ्तार किया जा रहा था। इन कार्यकर्ताओं में जैन समाज के स्वयंसेवक भी शामिल थे। कानपुर निवासी सुन्दरलाल जैन को ब्रिटिश सरकार ने ऑनरेरी मजिस्ट्रेट बना रखा था। राष्ट्रीय आन्दोलन के दौरान उन्होंने अपने पद को त्याग दिया। 36 श्री जैन व्यक्तिगत सत्याग्रह के समय से ही कांग्रेस के कार्यों में सहयोग करने लगे थे। इस दौरान वे जेल भी गये। उ.प्र. सूचना विभाग के अनुसार सुन्दरलाल जैन पुत्र कन्हैयालाल जैन 16/17 एच, आयकर अधिकारी सिविल लाईन्स कानपुर सन् 1941 के व्यक्तिगत सत्याग्रह आन्दोलन में भारत प्रतिरक्षा कानून की धारा 38 के अंतर्गत 1 वर्ष कड़ी कैद में रहे और उन पर 150 रुपया जुर्माना भी किया गया। सुन्दरलाल जैन के छोटे भाई महेशचंद्र जैन भी व्यक्तिगत सत्याग्रह आन्दोलन के सिलसिले में 2 मास तक नजरबंद रखे गये थे।37 इन दोनों भाइयों के विषय में 'जैन संदेश' का राष्ट्रीय अंक लिखता है-वैद्य कन्हैयालाल जैन के बड़े पुत्र सुन्दरलाल जैन और छोटे पुत्र महेशचन्द जैन ने भारत छोड़ो आन्दोलन में भाग लेकर सरकार को परेशान रखा। उन्होंने इस दौरान कानपुर के जैन-अजैन नवयुवकों को प्रेरणा देकर आन्दोलन में सक्रिय किया। 38 कानपुर निवासी बाबूराम जैन ने राष्ट्रीय आन्दोलन में पूर्ण समर्पण के साथ कार्य किया। इस आन्दोलन में वे लम्बे समय तक जेल में रहे। उत्तर प्रदेश सूचना विभाग के अनुसार बाबूराम जैन पुत्र टुंडामल जैन निवासी छपर मौहल्ला कानपुर एक निष्ठावान कार्यकर्ता हैं, जिन्होंने सन् 1942 के भारत छोड़ो आन्दोलन में सक्रिय भाग लेने के कारण 7 वर्ष की कड़ी कैद की सजा भोगी। 39 सूचना विभाग ने 7 वर्ष सजा का जो उल्लेख किया है, वह केवल भारत छोड़ो आन्दोलन के संदर्भ में किया है, जबकि लेखक को प्रमाणिक स्रोतों से यह पता चला है कि बाबूराम जैन कानपुर को सभी राष्ट्रीय आन्दोलनों के दौरान दी गयी जेल की सजा की अवधि 7 साल बैठती है। जो सूचना विभाग उ.प्र. द्वारा केवल 1942 में ही दिखाई गयी है। इस प्रकार स्पष्ट है कि बाबूराम जैन भारत छोड़ो आन्दोलन के साथ ही पिछले दोनों आन्दोलनों में भी लम्बे समय तक जेल में रहे। उनकी भाँति कानपुर के जैन समाज के अन्य देशभक्तों ने भी देश के लिए पूर्ण समर्पण के साथ कार्य किया। फूलचंद जैन अपने पुत्र मनोहरलाल जैन एवं भतीजे ऋषभकुमार जैन के साथ जेल गये। कनहीलाल के भारत छोड़ो आन्दोलन में जैन समाज का योगदान :: 147
SR No.022866
Book TitleBhartiya Swatantrata Andolan Me Uttar Pradesh Jain Samaj Ka Yogdan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmit Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2014
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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