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________________ जैन (बड़धरिया) ने 1942 में धारा 144 तोड़कर जेल यात्रा की। उ.प्र. सूचना विभाग के अनुसार हुकुमचंद पुत्र परमानन्द जैन ने इस आन्दोलन के सिलसिले में 6 माह कैद की सजा पायी।100 श्री जैन ने उन क्रांतिकारियों की मदद की, जो छिप-छिपकर अंग्रेजी सरकार को परेशान कर रहे थे। उन्होंने अनेकों बार अपनी जान खतरे में डालकर सेनानियों को सक्रिय सहयोग प्रदान किया। गोपालदास जैन ने सन् 1941 में व्यक्तिगत सत्याग्रह में भाग लेकर 9 महीने की सजा पायी थी। 1942 के आन्दोलन में श्री जैन 1 वर्ष जेल में रखे गये। अभिनंदन कुमार जैन 'टडैया' ने भारत प्रति रक्षा कानून की 38वीं धारा के अंतर्गत 1942 में एक वर्ष की कैद और 100 रुपये जुर्माने की सजा पायी।। ताराचंद जैन (कंजिया) ने 1941 के सत्याग्रह में भाग लेने के कारण 1 साल की कैद तथा 100 रुपये जुर्माने की सजा पायी। 02 पाली निवासी गोविन्ददास जैन ने 1941 के व्यक्तिगत सत्याग्रह में भाग लेने के कारण 6 महीने जेल की सजा पायी। उन्होंने जिला प्रशासन के चाटुकारों के आतंक से जनता को सदैव बचाया। कुन्दनलाल जैन ‘मलैया' ने 1941 के व्यक्तिगत सत्याग्रह में 6 माह कैद व 100 रुपये जुर्माना तथा भारत छोड़ो आन्दोलन में 1 वर्ष जेल की यात्रा की। 03 झाँसी निवासी शिवप्रसाद जैन भी 1942 के आंदोलन के सिलसिले में 1 वर्ष तक नजरबंद रहे। मोतीलाल जैन 'टडैया' ने इस आन्दोलन में सक्रिय भागीदारी की तथा 1वर्ष कैद तथा 100 रुपये जुर्माने की सजा पायी। डालचंद जैन को भी 1 वर्ष की कठोर सजा दी गयी।05 महरौनी जिला झांसी निवासी गोपीचंद जैन पुत्र सरहूमल जैन ने राष्ट्रीय आन्दोलन में पूर्ण सहयोग दिया। उन्होंने 1941 के व्यक्तिगत सत्याग्रह आन्दोलन में 1 वर्ष कठिन कैद की सजा पायी और उसके बाद 1942 में 1 वर्ष के लिए पुनः जेल गये।06 जाखलौन जिला झांसी निवासी राजधर जैन ने अपने साथी शिवप्रसाद जैन के साथ जेल की यात्रा की। उ.प्र. सरकार के अनुसार उन्हें कांग्रेस के आन्दोलन में सक्रिय भाग लेने के कारण 1 वर्ष जेल में रखा गया।07 शिवप्रसाद जैन और राजधर जैन जब झाँसी की जेल में बंद थे, उसी दौरान जेल में अधीक्षक के साथ उनका झगड़ा हो गया। अधीक्षक ने उन्हें बहुत परेशान किया और बाद में उन्हें सेन्ट्रल जेल आगरा भेज दिया गया।08 ललितपुर निवासी ठाकुरचन्द जैन ने भी राष्ट्रीय आन्दोलन में अपनी आहुति दी। उन्हें 17 अगस्त 1942 को भारत प्रतिरक्षा कानून की 38वीं धारा के अंतर्गत गिरफ्तार करके 1 साल कठिन कैद और 100 रुपये जुर्माने की सजा दी गयी।09 पं. फूलचंद जैन शास्त्री 1941 के व्यक्तिगत सत्याग्रह के दौरान लड़बारी (बार) ललितपुर में सरकार विरोधी भाषण देने के कारण गिरफ्तार कर लिये गये और उन्हें भारत छोड़ो आन्दोलन में जैन समाज का योगदान :: 141
SR No.022866
Book TitleBhartiya Swatantrata Andolan Me Uttar Pradesh Jain Samaj Ka Yogdan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmit Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2014
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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