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________________ जैन को 25 मार्च 1943 को धारा 129 के अंतर्गत गिरफ्तार कर लिया गया । श्री जैन ने अपने साथियों के साथ भारत छोड़ो आन्दोलन में काफी कार्य किया । रामस्वरूप जैन अपने नाम के आगे 'भारतीय' लगाते थे । धारा 129 के अंतर्गत 6 जनवरी, 1943 से 5 मार्च 1943 तक श्री जैन जेल में रहे। आगरा में इस आन्दोलन के दौरान 'भारतीय' जी कार्यकर्ताओं को अनेक प्रकार से मदद करते थे । पन्नालाल जैन पुत्र बाबूलाल जैन 11 सितम्बर, 1942 से 17 अक्टूबर 1942 तक नजरबंद रहे । 'जैन संदेश' के अनुसार श्री जैन आगरा के 'नारखी' क्षेत्र के एकमात्र कार्यकर्ता थे, जो जेल गये । पत्र के अनुसार उन्होंने सन् 1942 के प्रारम्भ में 'निर्धन - सेवा सदन' स्थापित करके गाँवों में फैली हुई गल्ले की कमी को अपने खर्चे से मँगाकर पूरा किया और ग्रामीणवासियों को यह संदेश दिया कि अंग्रेजी राज का ही यह परिणाम है, जो आज हम अन्न जैसी सर्व सुलभ वस्तु के लिए भी तर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ग्रामीणवासियों को चाहिए कि वे भारत के स्वतंत्रता आन्दोलन में अपना पूर्ण योगदान दे । पन्नालाल जैन ने बीस गाँवों में जाकर 'ग्राम्य गीत सम्मेलन' कराये तथा उसके माध्यम से ग्रामीणों को आन्दोलन में भाग लेने हेतु प्रेरित किया । 18 गुलजारीलाल जैन भी बहुत समय तक पुलिस द्वारा नजरबंद किये गये । श्री जैन फिरोजाबाद म्यूनिसिपल बोर्ड के चेयरमैन भी रहे। आगरा कांग्रेस कमेटी के प्रधान सेठ अचलसिंह जो, 9 अगस्त 1942 को ही गिरफ्तार कर लिये गये थे, 1 नवम्बर 1943 को रिहा कर दिये गये। 19 सेठ जी ने जेल से आते ही फिर आगरा में प्रदर्शन और सरकार विरोधी कार्यक्रम प्रारम्भ कर दिये । फलस्वरूप सरकार ने उन्हें फिर गिरफ्तार कर लिया । सेठ अचलसिंह 'भारत छोड़ो आन्दोलन' में 2 साल 6 माह जेल में रहे । उत्तमचन्द जैन ने भी इस आंदोलन में पूर्ण सहयोग दिया। श्री जैन 1939 से ही राष्ट्रीय आंदोलन में सक्रिय हो गये थे । इसी वर्ष श्री जैन को मौजा बरारा आगरा में एक बड़ी सभा में भाषण देने के कारण गिरफ्तार कर लिया गया। 1941 के व्यक्तिगत सत्याग्रह में भाग लेने के कारण श्री जैन 13 महीने जेल में रहे। 1942 की 'अगस्त क्रांति' के पहले ही दिन 9 अगस्त को उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और 2 वर्ष तक जेल में नजरबंद रखा गया। 1944 में श्री जैन जब जेल से रिहा होकर आये, तो उन्होंने अंग्रेज अधिकारियों द्वारा जबरदस्ती माँगे जा रहे चंदे का विरोध किया। पुलिस ने उन्हें पुनः गिरफ्तार कर लिया और 2 महीने नजरबंद रखा । उत्तर प्रदेश सरकार का सूचना विभाग भी इन सजाओं की पुष्टि करता है । " लोहा मण्डी आगरा निवासी रतनलाल जैन ने इस दौरान कांग्रेस कार्यक्रमों में आगे बढ़कर भाग लिया तथा धन देने में कभी पीछे नहीं हटे । भारत छोड़ो आन्दोलन भारत छोड़ो आन्दोलन में जैन समाज का योगदान :: 131
SR No.022866
Book TitleBhartiya Swatantrata Andolan Me Uttar Pradesh Jain Samaj Ka Yogdan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmit Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2014
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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